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________________ न्यस्य पानान्नः प्रीणन्ती तं च नित्यशः / नृत्ये स्वभावतो दक्षमपि साऽशिक्षयत्तराम् // 51 // तन्मातरं मयुरीं च पश्यद्भिर्दुखितां // 363 // जनैः / प्रोक्ता लक्ष्मीवती मुश्चैतत्सुतं म्रियते ह्यसौ // 52 // साऽप्यथो जातकारुण्याऽमुचत्तं केकिन पुनः / नीत्वा पोडशमासान्ते * रुक्मिण्याः बनान्ते मातुरन्तिके // 53 // ततः प्रमादाद् ब्राह्मण्या कर्मेदृक् षोडशाद्विकम् / बद्धं पुत्रवियोगातिदुःसहं वेद्यमुत्कटम् // 54 // अन्य | पुत्रवियो गकारण Hदाऽस्यां स्वमादर्श पश्यन्त्यां प्राविशद्गृहे / मुनिः समाधिगुप्ताह्वस्तां भर्ता सम्भ्रमादथ / / 55 / / भिक्षादानार्थमादिश्याहृतः केनाप्यगाद् | नाममायाता कनायगा कथनम् बहिः / पूत्कृत्याक्रुश्य निःकास्य साधु द्वारं प्यधत्त सा / / 56 / / युग्मम् / / सप्तमेऽसि गलत्कुष्ठीभूय साधुजुगुप्सया। साऽभून्मृत्वाऽग्निना ग सूकरी रासभी शुनी // 57 / / शुनी प्रदीपने दग्धाऽनातिभृगुपुरान्तिके / दुर्गन्धा दुर्भगा काणाभिधाऽभूद्धीवरात्मजा // 58 // त्यक्ता पितृभ्यां दौर्गन्ध्याद्यौवनेऽनीप्सिता नरैः / रेवायां जनमुत्तार्य नावाऽऽत्मानमजिजीवत् // 59 // दैवानेवातटे सायं का योत्सर्गस्थितं मुनिम् / समाधिगुप्तं साऽद्राक्षीत्तमेव शिशिरे ऋतौ // 60 // स्फीतैः शीतैरसौ रात्रौ महात्मा मास्म पीडयत / इत्याचेतास्तं साधु सा विष्वक् प्रावृणोत्तणैः // 61 / / नेमे मुनिस्तया प्रातर्धम चाकथयन्नयम् / क्वचिद्दष्टोऽसीति पृष्टोऽशंसत्तत्प्राक्तनान् भवान् // 62 / / ज्ञात्वा साधुजुगुप्सोत्थं दौर्गन्ध्यं जातिसंस्मृतेः। सा तमक्षमयत्साधुं गर्हमाणाऽऽत्मने मुहुः॥६३।। श्रावकीकृत्य मुनिना साध्या धर्मश्रियोऽपिता / तद्राि नायलबा नावाष्टभ्यत सा चिरम् // 64 // एकान्तरोपवासैः सा द्वादशाब्दी जिनार्चया / अतीत्य मासं संन्यस्य विपद्य च समाधिना // 65 / / पञ्चपश्चाशत्पल्यायुजज्ञेऽच्युतसुरेशितुः / महिपी सा च्युता जाताऽच्युतकान्तेह रुक्मिणी // 66 // क्षिप्तस्तपोनिना कर्ममलो रुक्मादिवात्मनः। रुक्मिण्या केकिनीमूनुविरहोत्थस्तु नैव धिक् // 67 / / तेनैषा पोडशाब्दानि | // 363 // al स्वपुत्रविरहोद्भवम् / दुःख सहिष्यतेऽवश्यं ही वेद्य क्रीडयाजिंतम् // 68 // श्रुत्वेति नत्वा तीर्थेशं व्योम्नोत्पत्याथ नारदः / वैताढ्य
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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