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________________ श्रीअमम जिनेशचरित्रम् / हृता ऋक्मिणी कृष्णेन // 352 // चिक्षेप मुनिः कोऽयं? मोहो दूतेन याचताम् // 46 // हृष्टः कृष्णः तमभ्यय॑ प्रेष्य च प्राहिणोजवात् / रुक्मिणी याचितुं दूतं रुक्मिणं प्रियया गिरा // 47 // अथ रुक्मी हसिखोचे न गोपालाय रुक्मिणीम् / दास्ये किंतु सत्कुलाय शिशुपालाय भूभुजे // 48 // श्रुत्वेति दूतस्तां वाचं परुषा सरुषा ज्वलन् / शशंस कंसरिपवे द्वारकामेत्य सत्वरम् // 49 // तच्च स्वरूपमाकर्ण्य रुक्मिणी विजनेवदत् / पितृप्वसेति वत्से ! त्वां बाल्ये मत्क्रोडवर्तिनीम् // 20 // प्रेक्ष्यातिमुक्तकः साधुराख्यज्ज्ञानेन भाविनीम् / प्रत्यग्वर्द्धिद्वारकेशकृष्णाग्रमहिषी स्वयम् // 51 // युग्मम् // याचतोप्यद्य कृष्णस्य ख न दत्तासि रुक्मिणा / वितीर्णा शिशुपालाय दमघोषसुताय तु // 52 // ज्ञानिवा|गपि किं मातम॒षा स्यादिति भापिणीम् / कृष्णेऽनुरागिणीं वतृष्वसा निश्चित्य रुक्मिणीम् // 53 // शीघ्रं गुप्तेन दुतेन कृष्णमेवमजिज्ञपत् / माघमासे सिताष्टम्यां बने नागार्चनच्छलात् // 54 // आनेष्ये रुक्मिणी वं चेत्तदर्थी वर्तसे ततः / शीघ्रमेयाः शिशुपालोऽन्यथैतामुपयंस्यते // 55 // त्रि० वि० / / इतश्च तद्दिने प्रापत्कुण्डिनं दमघोषजः। कलिप्रियेण चाज्ञापि मुनिना शाङ्गिणो द्रुतम् // 56 // रामेण रथिना सार्द्ध सोऽपि भिन्नरथे स्थितः / सत्वरं कुण्डिनपुरं पाप स्वैरप्यलक्षितः॥५७॥ इतश्चाऽऽगापितृध्वस्रा सार्द्ध नागार्चनच्छलात् / स्वमूर्तिभिर्वयस्याभिरुद्याने रुक्मिणी वृता // 58 // अवतीर्य स्थाद् ज्ञापयित्वाऽऽत्मानं च केशवः / पितृष्वसारमानम्य रुक्मिणीमित्यभापत // 59 // कृष्णोऽहं दूरतोऽप्यागां त्वां वृतां कण्टकैरपि / केतकीमिव रोलम्बस्त्वत्सौरभ्यरसाहृतः॥६०॥ अलं |* *विलंब्यारोह खं वरारोहरथं द्रुतम् / रुक्मिण्यपि तथाचक्रे पितृष्वसुरनुज्ञया // 61 / / युग्मम् // पितृष्वसाथ स्वं दोषमपट्टोतुं सपू-13 स्कृतिः / इत्याख्यद्रुक्मिणेऽहारि हरिणा रुक्मिणी हहा // 62 // पांचजन्यं सुघोष चाधमतां शाङ्गिसीरिणौ। ससैन्यपौरभुक्षोभ रुक्मी तन्नादतोऽन्धिवत् // 63 // अथो रुक्मीशिशुपालौ ससैन्यौ रामकृष्णयोः / वेगेन रुक्मिणी प्रत्याहाँ पृष्ठे प्रचेलतुः // 64 // तौ वीक्ष्या सर्ग-९ // 352 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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