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________________ श्रीअमम // 350|| क्रमात् / / 7 / / प्रभुर्दशधनुस्तुङ्गश्चतुरस्राकृतिर्वभौ / वज्रऋषभनाराचो वैडूर्यस्तंभवत्तदा // 8 // पदाब्जोद्यन्नखज्योत्स्नायष्टितजंघयोयु- जिनेशगम् / दोलां गारुत्मतस्तंभरम्यां तीर्थश्रियोऽहसत् // 1 // बन्धार्थ त्रिजगन्नेत्रमनोमत्तगजेन्द्रयोः / मन्ये विधिळधत्तोचैस्तस्योरू स्त- चरित्रम् / म्भसन्निभौ // 10 // आजानुलंबा तदाहुदंडयोद्वितयी बभौ / स्व लोकावियोद्धत पादानपतितौ समम् / / 11 / / कुरंगद्वेपिणा तेन पृथू- शरीरगुणनानितम्बिना / एनोगजघटाऽघाति जनस्वेक्षणतोऽद्भुतम् ॥१२॥ध्रुवं धर्मगजोऽविक्षत्तप्तस्तन्नाभिपल्वले / तत्तटे मदधारेव रोमराजी - वर्णनम् यदस्फुरत् // 13 // श्रीरिहांतःपुरीस्थाता गुणैः कञ्चुकिभिः सह / श्रीवत्समितीवास्य पृथुवक्षो व्यधाद् विधिः॥१४॥ शोणत्पाणिनखव्याजाद्भूत्वेव दशधा रविः / त°टंकमुखोल्लेखोद्विग्नधीस्तमऽसेवत // 15 // दोःशीर्षमेकं बिभ्राणस्तद्भुजस्त्रिजगद्भरम् / उद्धरनहसच्छेषं * बहुशीपात्तभूभरम् / / 16 / / त्रिरेखाभित्रिजगतीलक्ष्मीजैत्रप्रशस्तिभिः / युक्तं दृष्ट्व तत्कण्ठं कम्बुद्धिी हियाऽविशत् // 17 // तन्मुखेनातुलेनेन्दुर्यत्तुलाऽऽरोहपातकम् / चक्रेऽद्यापि सुवर्णांगोप्यभृत्तच्छित्रपाण्डुरः // 18 // वक्रसौधनिवासिन्योः कौतुकिन्योविरेजतुः / दोलासवण्णौ तत्कौँ देव्योाह्मीश्रियोः समम् // 19 // विधिलिलेख तद्वके तिलकाङ्कितमध्ययोः / भ्रुवोश्छलाजगद्दश्यकारमोंकारमुद्भटम् // 20 // नासा तस्य जगद्भर्तुस्तुलेव सरलाऽशुभत् / कांतिभिर्दन्तिरत्नानां तोलयन्ती जगत्त्रयीम् / / 21 // अनन्यसदृशोः स्वामिदृशोर्मन्ये विधिः स्वयम् / न्युञ्छनीकृत्य चिक्षेप कमलानि जलांतरे / / 22 / / मुक्तारत्नभृता पद्मरागशुक्तिर्भवेद्यदि / ओष्ठमुद्राऽरु- | णाऽस्य स्यात्सस्मिता तत्समा तदा // 23 / / मुखनीलोत्पलालभ्यसौरभ्यरसलोभिनी / भृगश्रेणीव तद्वेणी स्निग्धश्यामरुचिर्बभौ // 24 // अपि सर्वोपमासारै रूपं सर्वसुरैः कृतम् / तस्य पादाङ्गुलितलस्यापि साम्यं न गाहते / 25 / यौवनं नाविकारीति व्याप्तिर्याऽङ्गिषु | ialसा कृता / आजन्मकामजयिनाऽन्यथैव प्रभुणा स्वतः / / 26 / / कामोऽस्ति कामिनीकेलिमधुदक्षिणमारुतैः। सौधचंद्रोदयोद्यानश्रीभो सर्ग-९ // 35 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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