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________________ // 343 // |ऽप्यसि त्रिजगतीजयप्रौढभुजस्ततः // 43 // जातजातान्निजसुतान् कथं ? वीरशिरोमणे ! / व्यापाद्यमानान्कंसेन निस्त्रिंशेनाऽसि सोढ * कंसप्रेतकृत्ये वान् // 44 // युग्मम् / / उवाच वसुदेवोऽपि मया सत्यव्रतं निजम् / त्रातमाजन्मतस्त्रातुं न त्राताः स्वतनूद्भवाः / / 45 / / देवक्याश्चाग्रहा- कृते जीवदेष कृष्णो निक्षिप्य गोकुले / वराकिका नंदपुत्रीं संचार्यमामरक्ष्यत // 46 // देवक्याः सप्तमो गर्भः स्त्री वराकीत्यनादरात् / छिच्चा यशसः नासां स्वनाशार्थ कंसेनामोचि निमिया // 47 // राजा समुद्रविजयो भ्रातृभ्रातृव्यसम्मतात् / अचीकृपदग्रसेनं काष्ठपंजरतो नृपम् प्रतिज्ञा स्वरूपम् // 48 // दशार्दा यदवश्चान्येऽप्युग्रसेनसमन्विताः। प्रेतकृत्यानि कंसस्य यमुनायास्तटे व्यधुः // 49 // कंसस्यादाजलं नद्यां माता सर्ववधूयुता / नादायि जीवयशसा प्रत्यज्ञायि च कोपतः // 50 // रामकृष्णौ तत्पितूंश्च घातयित्वा ससन्ततीन् / तदीयरुधिरैः स्वस्य भर्तु-1* र्दास्ये जलांजलिम् // 51 / / वेक्ष्याम्यकृतकृत्यापि गहने दहनेऽन्यथा / प्रतिश्रुत्येत्यगातण सा जरासन्धसन्निधौ // 52 // युग्मम् // | समुद्रविजयो राजाऽनुजया रामकृष्णयोः। विदधे मथुरापुर्यामुग्रसेनं पुननृपम् // 53 // पयेणेपीग्रसेनदनां कृष्णोऽनुरागिणीम / गुणोहामां सत्यभामा लग्ने कोष्टुकिनापिते // 54 / / इतः पूत्कुर्वन्ती मुक्तकेशी मूर्तव राक्षसी / अश्रीरिख जरासन्धस्यागाजीवयशाः सभाम् // 55 / / निश्चेष्टा मूर्च्छया पित्राऽऽश्वास्य पृष्टा कथश्चन / साऽऽख्यन्मूलात्कथां कंसघानान्तां गद्गदाक्षरम् // 56 // जरासंधः सत्यसुन्धा संधात नामवोचत / कंसो मुखोऽभवद्यम्माद्देवकीमेव नावधीत् / / 57 / / तां विना स्यः क ते गर्भास्तान्विना व स मृत्युकत / / | कर्मानुमारिणी बुद्धि.पा भाषा मृषाऽथवा // 58 // तथापि पुत्रि ! मा रोदीः सान्वयान्कंसघातिनः / हत्वा द्रुमानिवैषां स्त्री रोदयि| प्यामि पक्षिवत् / / 59 / / आश्वास्येति सुतां राज्ञाऽऽदिष्टः सोमकभूपतिः / दूत्येनत्य मथुरायां समुद्र नृपमूचिवान् // 60 // पतिः प्रियाया | // 343 // दहितुः कंसोऽस्माकमतिप्रियः / ततस्तद्धातनाद्रामकृष्णावस्मद्विरोधिनौ // 61 / / संबन्धित्वात्पक्षपातं तन्वन् राजन् भवानपि / प्राप्तो वि
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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