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________________ // 329 // जन्मनि दिक्कुभारी महोत्सव * गर्भ विभुः सुखम् / ववृधे वपुषा राज्या नोदरं तु कुतूहलम् // 79 // गंगेव नीलनलिनं नव्यं प्रावृडि चाम्बुदम् / महानीलमणि रत्न क्षोणीवाऽभीष्टदायकम् / / 80 // श्रावणे श्वेतपञ्चम्यां निशीथे त्वाष्ट्रगे विधौ। शिवाऽसूत सुतं शंखध्वज नव्याम्बुदद्युतिम् // 8 // युग्मम् / / जरायुरुधिराद्यैश्च बाबैराभ्यन्तरैरपि / देहस्त्यक्तो मलै रेजे रत्नादर्श इव प्रभोः // 82 // मेरोस्तटी घनेनेव तेन श्यामेन साऽशुभत् / अष्टोत्तरसहस्रेण लक्षणलक्षितात्मना / / 83 // वातैः सुखैः तदा जज्ञे मुमुदे नारकैरपि / त्रिलोकी तेजसाऽपूरि नेदे दुन्दुभिना | दिवि // 84 // उदश्वसद् धरा व्योम स्फटिकादर्शतां दधौ / दिक्कामिनीनां निधूतरजसा महसा प्रभोः // 85 / / इतश्च जिनजन्मोत्थहर्षोत्कर्षादऽधूनयन् / दिकन्यानामासनानि स्वमौलिं कम्पकैतवात् // 86 // अवधिज्ञानतो ज्ञात्वा जिनजन्मोत्सवं च ताः / अस्ताविषुः। प्रभुं भक्त्याथागासिपुरनर्तिषुः / / 87 / / अधोलोकात्कुमार्योऽष्टावेयुभॊगंकरादयः। नत्वाऽम्बां ज्ञापयित्वा स्खं चक्रुः संवर्तमारुतम् / / 88 // | हृत्वा चायोजनं सूतिगेहादशुचिपुद्गलान् / गायनीवजगुर्नातिदूरस्थास्ताः प्रभोर्गुणान् / / 89 // उर्द्धलोकादथैत्याऽष्टौ देव्यो मेघंकरादयः। | तां मां गन्धाम्बुपुष्पाब्दवृष्ट्या सिक्त्वा जिन जगुः // 90 // एत्य प्रागुरुचकादष्टौ देव्यो नन्दादयस्ततः / नत्वा जिनं तदम्बां च तस्थुर्दर्पणपाणयः॥९१।। देव्योऽष्टौ समाहाराद्या दक्षिणादूचकाद्रितः / शृंगारपाणयोऽभ्येत्य जिनं नत्वाऽन्तिके जगुः // 92 // पश्चिमागुचकात्कन्याः समेत्याष्टाविलादयः / जिनं प्रणम्य देवीं च तस्थुळजनपाणयः॥९३।। औत्तराशादुचकतो देव्योष्टाऽलम्बुसादयः / एत्य मात्रा समं नत्वा जिन तस्थुः सचामराः // 94 // विदिशां रुचकादिभ्यश्चतस्रोऽभ्येत्य कन्यकाः / नत्वा जिनाम्बे चित्राद्याः खाशाखऽस्थुः सदीपिकाः // 95 // चतस्रो रुचकद्वीपमध्यतश्च कुमारिकाः / रूपादयः सूतिगेहे जिन नत्वा समातृकम् // 96 // चतुरंगुलतो नालं छित्त्वा जैन दरे न्यधुः। तं रत्नादिभिरापूर्य ताः पीठं द्वया व्यधुः // 97 // दक्षिणप्रागुत्तरास्थांस्ताश्चक्रुः सूतिगेहतः। // 32
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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