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________________ श्रीअमम // 326 // *तजन्मनि / प्रीतिमत्यभिधा कल्पे वयस्यश्चारणे सुरः // 22 // यशोमतीयं ते भार्या सप्तमेऽभूद्भवे पुनः / तेनाऽस्यां षड्भवाभ्यस्तः || जिनेश ते स्नेहोऽभ्यधिको नृप ! // 23 // त्रिवि० / / इतोऽपराजिते गन्ता ततश्युत्वाऽत्र भारते / द्वाविंशोऽर्हन्नेमिनाथस्त्वं भावी यदुवंशजः | चरित्रम् / H // 24 // भूत्वा राजीमती त्वेषा त्वदेकायतमानसा / अबूडैव त्वत्करात्तव्रता मुक्तिं गमिष्यति // 25 // एतौ सहोदरौ ते चानुजौ पूर्व- | शंखभवे भवेष्वपि / मंत्री मतिप्रभश्चैते गणेशास्तव भाविनः // 26|| शंखः पुत्रं पुण्डरीकं न्यस्य राज्येऽग्रहीद् व्रतम् / सानुजः सप्रियो मत्रि- दीक्षा तीर्थयुतो वैराग्यमुद्वहन् / / 27 // चित्रं तपोग्नितापेऽपि दाढ्यं शंखः परं दधौ। एकादशांगीगंगांभापूरैश्च खमपूपुरत् // 28 // अर्हद्भक्त्या कृत्कर्मनिदिभिः स्थानः प्रागुक्तव्यक्तिभिः स च / आर्जयत्तीर्थकरनाम निकामाद्भुतवैभवम् // 29 // वैराग्यं शंखवद् भेजे शंखसाधुस्तथा यथा।* काचनानु त्तर विमानिर्ममोऽभूत्स्वदेहेऽपि किं पुनर्दयितादिषु // 30 // बहूनां कलहोऽवश्यं संघर्षश्च मिथो द्वयोः / सौख्यं स्त्रीवलयस्येव तदेकस्यैव दे | नगमनं च हिनः॥३१॥ अक्षरस्य यथैकस्य क्लेशो नोचारणे भवेत् / जीवस्यापि तथैकस्य भवदुःखनिवारणे // 32 / / एकख प्राणिनस्तु स्यात् / स्वदेहममतोज्झनात् / अष्टादशानां रागादिरूपाणां चान्तरद्विषाम् // 33 / / विचार्येति गुरूपान्ते वायुःप्रान्ते विशेषतः / संलिख्य भावटंकेश्चोल्लिख्य खां वक्रतां हृदः // 34 // भावनां क्षमणां कर्मगर्हामनशनं तथा / परमेष्ठिनमस्कारं चतुःशरणसंश्रयम् // 35 // कृत्वेत्याराधनं पोढा पादपोपगमं तथा / मृत्वाऽपराजिते शंखो विमानेऽनुत्तरे ययौ // 36 // 50 कु०॥ तेनैव विधिना प्रापुर्यशोमत्याद-19 सर्ग-७ यस्त्रयः। अपराजितमेवैकयोगोक्तानां न भिन्नता // 37 // तस्मिन्ननुत्तरसुखव्यतिषंगरंगरंगन्मनाः स्फुरदनुत्तररूपलक्ष्मीः। सत्रिंशतं समधिकां त्रिभिरम्बुधीनां सोत्कर्षहर्षमयमायुरथो निनाय / / 38 // // 326 // इतश्च जम्बूद्वीपस्य भरताद्धेऽस्ति दक्षिणे / कुशारीनाम्ना विषयः स्पर्शवद् विषयाग्रणीः // 39 // यस्मिंश्चतुःपुमर्थश्रीसाधकेऽन्या
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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