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________________ श्रीअमम // 324 // नारीपुरतः फल्गु गेहेनर्दीव वल्गसि // 84 // उत्तिष्ठाशु परदारापहारांहाकलंकितम् / आत्मानं मामके खगधारातीर्थे विशोधय // 85 // जिनेश| श्रुत्वेति खेचरः काण्डक्षतांग इव सूकरः / कुर्वन् घुरघुरारावं शौर्याद् योद्धुमधावत // 86 // तत्खङ्गं खण्डयामास कुमारः सारविक्रमः। चरित्रम् / विद्यास्युयुधे तप्तायोगोलाद्यैर्नभश्चरः // 87 / / पुण्यैः संवमितस्याथ शंखस्य प्राभवन्नहि / अमोघान्यपि दिव्यास्त्राण्यहो प्राक्सुकृतो विद्याधर जिंतम् / / 88 // निपण्णाच्च विषण्णाच्च तस्माद् विद्याधरादसौ / धनुराच्छिद्य तद्वाणेनैव तं हृदि जनिवान् // 89 // मूर्छया सोऽलुठद् विज्ञप्त्या वेताढये भूमौ च्छिन्नमूल इव दुमः / शंखेनाश्वास्य वाताधैयुद्धायाऽऽजुहुवे पुनः // 90 // ऊचे व्योमचरो युद्ध वीरैरजितपूर्व्यहम् / निजितो | गमनम् भवतवाद्य देवेभ्योऽप्यधिकौजसा // 9 // कन्येयं त्वां गुणक्रीती स्वयं वीर यथाश्रयद् / तथा पराक्रमक्रीतो जनोऽयमपि सर्वथा | // 92 // शंखोऽप्यूचे खेचरेन्द्र ! विनयाधैर्गुणैस्तव / वशीकृतोऽस्मि तत् किं ? ते ब्रूहि कुर्वे मनःप्रियम् // 93 / / सोऽवादीत्तहिं वेताढथे- | | ऽनुग्रहितुं त्वमेहि माम् / पुण्यर्द्वि संग्रहीतुं च सिद्धायतनयात्रया / // 94 // अस्त्वेवमिति शंखोक्ते तं कन्यापि जितद्विपम् / पति || प्राप्यान्वमोदिष्टाऽब्जिनीवाऽस्तविधुं रविम् // 95 / / पत्तयो मणिचूडस्य तत्रेयुरथ खेचराः / नम्राः शंख नमश्चक्रुः स्वामिजीवितदायि-1 नम् // 96 // प्रेष्योभी खेचरौ शंखः स्वं वृत्तान्तं निवेद्य च / स्वं सैन्यं हास्तिनपुरे प्राहिणोत् पितुरन्तिके // 97 // कन्याधात्रीं च तां | विद्याधरैरानाय्य तधुतः / शंखो जगाम वैताढ्य खेचरेन्द्रपरावृतः // 98 // जिनेन्द्रान् शाश्वतांस्तत्र सिद्धायतनवर्तिनः / यशोमत्याः सर्ग-७ | सहाऽनर्च विधिना प्राणमच्च सः // 99 // नीत्वा कुमारं कनकपुरे स्वस्य च मन्दिरे / आनर्च देववद् दिव्यवस्तुभिर्मणिशेखरः॥६००॥ | नित्यं शंखयशोमत्यावेत्य वैताट्यवासिनः। आश्चर्यमागतमिव पुनरुक्तं व्यलोकयन् // 1 // द्विपद्विजयराज्यादिदानमूल्यैः स्वसा // 324 // स्कृताः / महर्द्धयोऽपि खेचरा ययुः शंखस्य पत्तिताम् // 2 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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