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________________ श्रीअमम जिनेशचरित्रम् / राज्याभिषेकः // 320 // सान्तःपुरसैन्यजनो नृपः // 8 // कुमारोऽपि त्वराहर्षप्रसरदाहुपक्षतिः। पितुरेत्य पदाम्भोजे राजहंस इवाऽलुलत् / / 9 // हरिणन्दी तमुत्थाप्य दुःखग्रन्थिबिभित्सया / न्यस्योरसि ध्रुवं बाहूपपीडं परिरब्धवान् // 10 // अद्रष्टव्यमुखः स्तंबकदम्ब इव तापकृत् / मन्दस्नेहः क्लेशदायी दुःपुत्रः प्रणमत्ययम् // 11 // उक्त्वेति मातुः पदयोन्यस्तं मौलिं स नोद्वधे / संदानितमिवोष्णीपनखमाणिक्यरश्मिभिः | // 12 // युग्मम् / / कृच्छ्रान्मात्रा यमुल्लास्याऽचुम्बि मूर्द्धनि तोषतः / सस्मार बाल्यसौख्यानां दुर्लभानां सुरैरपि // 13 // श्वशुरौ मंत्रि| पुत्रेण प्रीतिमत्यादयः स्नुषाः। नामग्राहमनाम्यन्त कुमारस्याज्ञयाऽखिलाः॥१४|| माचरान् खेचरान् राज्ञः सत्कृत्याऽथापराजितः। | विसृज्य तस्थिवान् पित्रोनेत्रोत्सवकृते स्वयम् // 15 // तौ मनोगतिचपलगतिजीवौ दिवश्युतौ / जातौ तदनुजौ शूरसेनाख्यौ तं प्रणेमतुः॥१६॥ गत्वा विमलबोधोऽपि स्ववध्वा सहितो गृहे / भक्त्याऽनंसीत्स्वपितरौ विक्लवौ स्ववियोगतः॥१७॥ न्यस्याऽपराजितं राज्ये हरिणन्दी नृपोऽन्यदा। प्रव्रज्य तपसा क्षीणकाऽगात्पदमव्ययम् // 18 // देवी प्रीतिमती जज्ञेऽपराजितमहीभुजः / अमात्यो | विमलबोधो बान्धवौ मण्डलेश्वरौ // 19 // राज्यं निःकण्टकं शासद् भुञ्जानोऽनुपमां श्रियम् / चैत्यानि रचयंस्तीर्थरथयात्राश्च लक्षशः // 20 // परस्परमनाबाधं त्रिवर्ग साधयन्निति / अपराजितराजोगात्क्रीडयोद्यानमन्यदा // 21 // युग्मम् // अनंगदेवनामानं युवानं | नूतनं स्मरम् / नारीकुञ्जरमद्राक्षीतत्र क्रीडापरं नृपः / / 22 / / स वयोरूपश्रृंगारैभित्रैः परिवृतं च तम् / नाट्यासक्तमर्थिमेघं प्रेक्ष्याऽप्राक्षीच सेवकान् // 23 / / तेऽशंसन् सार्थवाहस्य सूनुः कोटीश्वरः प्रभो!। अयं समुद्रपालस्यानंगदेवोऽभिधानतः // 24|| श्लाघ्योऽह-* मेव यस्यैवं वणिजोऽपि नृपाधिकाः / स्तुवन्नित्याययौ वेश्माऽपराजितनरेश्वरः // 25 // स द्वितीये दिने राजपाट्यां गच्छंश्चतुःपथे / पुंभिश्चतुभिरुत्क्षिप्तं वायत्तूर्यकटुकस्वरम् // 26 // सर्ग-७ // 320 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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