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________________ // 319 // स्वाजन्यधन्यस्तैरेवाध्यासि वीवाहमण्डपः // 89 // चक्रेऽपराजितप्रीतिमत्योलग्ने शुभे ततः। विवाहः प्रीतिसोत्साहः क्ष्माभुजा जित-* मातृपितृ* शत्रुणा / 90 // भेजे प्रियाग्रहाद्रूपं खं दिव्यमपराजितः। विसिष्मिये जनः सोऽप्याः किमेतदिति त्रुवन् // 11 // जितशत्रुर्नुपान * | मिलनाय सर्वान् सत्कृत्य व्यसृजत्कृती। तस्थौ प्रीत्या प्रीतिमत्याः पुनस्तत्रैव राजमूः // 92 / / मंत्रिणा च जितशत्रोः पुत्र्या सुमतिना स्वयम् / सिंहपुर उद्वाहितोऽस्थाद् विमलबोधोऽपि प्रीतिरीतिभृत् / / 93 // ज्ञात्वाऽपराजितं तत्र स्थितं श्रीहरिणन्दिना / आह्वातुं प्रेपितः कीर्तिराजो गमनम् मंत्री समाययौ / / 14 / / उपलक्ष्य कुमारेण परिष्वज्य च सम्भ्रमात् / स पृष्टः कौशलं पित्रोरित्याख्यत् साश्रुलोचनः // 95 // भवत्प्र| वासादारभ्य बाष्पव्याजेन निर्यताम् / त्वदाशार्गलयाऽमूनां धृतानां कुशलं तयोः // 96 // त्वद्वियोगमहादाहज्वराती तो च * निवृतिम् / लभेते लोकतः पीत्वा त्वच्चरित्रसुधारसम् // 97 / / तदेहि सत्वरं देहि स्तम्भवन्निजदर्शनम् / पित्सोस्तदेहगेहस्य जर्जरस्य भवच्छुचा // 98 // कुमारोऽप्यश्रुसम्पूर्णनेत्रः प्रोचे सगद्गदम् / ईदृक्क्लेशकरं पित्रोधिग्मां दुविनयं सुतम् // 99 / / द्रष्टुं कुमारं सोत्कण्ठः सूरकान्तस्तदागमत् / स तेनाजूहवत्पुत्रीयुतान् प्राक् श्वशुरान्नृपान् // 500 / / स प्रियाभिः खेचरीभिर्भूचरीभिः परीवृतः / रराज कान्तिस्फाराभिस्ताराभिरिव चन्द्रमाः॥१॥ आपृच्छय श्वशुरं प्रीतिमत्याद्यन्तःपुरीयुतः / प्रतस्थे सुहृदा सार्द्ध महर्द्धिरपराजितः // 2 // खेचराणां भूचराणां कटकैस्तुल्यमेव सः। कुर्वन् सुवर्णरत्नाढ्यैर्यावाभूम्योरलंकृतिम् // 3 // मार्ग दुर्गमिवाम्भोधिमुत्कण्ठापवनेरितः। उल्लन्ध्याऽल्पर्दिनैः पोत इवाऽसंख्यजनाश्रितः॥४॥ अनुकूलं पुमर्थानां वेलाकूलमिवासदत् / कुमारः केलिसदनं श्रीणां सिंहपुरं पुरम् // 5 // त्रि० वि०॥ बहिनिशान्ते सैन्यानामावासांस्तत्र गृह्णताम् / कोलाहलः पुरे चक्रे परचक्रागमभ्रमम् // 6 // पुरान्तश्च भयो- | // 319 // द्धान्ते भ्राम्यतीतस्ततो जने / हरिणन्दीनृपः सर्ववलेन समनह्यत / / 7 / / ज्ञात्वाऽपराजितं बन्दिस्तुतिभिर्वहिरागतम् / हृष्टः प्रत्युद्ययौ
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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