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________________ // 309 // -48-84838 पञ्चमभवे सिंहपुरेशहरिणन्दीपुत्रोऽपरा जित व्ययितं तेन यत्पुरा // 99 // आसीद्विमलबोधाख्यः सुहृद् मंत्रिसुतोऽस्य च / सदोदयव्ययः सूर्यस्येव रश्मिसमुच्चयः // 300 // अन्यदा बाह्यवाह्याल्या हृत्वाऽरण्ये दवीयसि / वैरिभ्यामित्र निन्याते दुष्टाश्वाभ्यामिमौ जवात् // 1 // तत्रावतीर्य तौ वीर्यजितक्षितिमहाभटौ। तृषातुरौ तुरंगौ स्वौ यावत्सरसि निन्यतुः // 2 // श्लथाङ्गबन्धनौ द्वेधा तावत्तौ वाजिनौ श्रमात् / विपेदाते विदेशाध्वदर्शने लग्नकाविव // 3 / / कुमारमंत्रिपुत्रौ च तत्खेदाद् गलितश्रियौ। न्यायधर्माविव कलेर्माहात्म्याजज्ञतुः क्षणम् // 4 // ऊचेऽपराजितो मंत्रीपुत्र| मावामहो हतौ / दिष्ट्याऽश्वाभ्यां कुतो दृश्याऽन्यथाऽऽश्चर्येभृता मही // 6 // वियोगकातरौ नानुमन्येतां पितरौ यतः। आपृच्छमानावावां तत् साम्प्रतं साध्वऽभूदिदम् // 6 // विसोढं दुःसहमपि दुःखमश्वापहारजम् / पितृभ्यामावयोस्तेन भ्रमिष्यावः सुखं भुवम् / / 7 / / प्रपेदे तद्वचो यावन्मंत्रिसूस्तावदागमत् / तत्राऽकस्माद्रक्ष रक्षेत्युच्चैल्पन्नरः पुनः // 8 // अशरण्यं शरण्यस्तं सभयं निर्भयस्ततः / माभै* भरित्यवोचत् सुतरामपराजितः // 9 // उवाच मंत्रिसदेव ! सहसैवं किमभ्यधाः / यद्यन्यायी भवेदेष त्वत्प्रतिज्ञा तदा वृथा // 10 // कुमारोऽब्रवीदुच्चैस्तं क्षत्रियाणां क्रमो ह्ययम् / असाधोर्यदिवा साधो रक्षणं शरणार्थिनः॥११॥ निर्भीर्यावन्नरः सोऽभूत्तावदारक्षकाः | क्षणात् / ऐयुर्हत हतेत्युच्चेजल्पन्तः कृष्टरिष्टयः / / 12 / / मुक्त्वाऽमुं दूरतो यातं पान्थौ ! चौरो ह्ययं खलु / मुपिताशेषनगरो राजादेशाद् मा हनिष्यते / / 13 / / ऊचेऽपराजितः स्मित्वा मामयं शरणं श्रितः / हन्तुं न शक्यः शक्रेणाऽप्यन्येषां तु कथैव का // 14 // तदारक्षवलं || योद्धं वाद्धिवत्प्रसरत्तदा / पपौ खगः कुमारस्याऽगस्तिवद् यमदिश्रितः // 15 // तेनैवं व्यथिताः शौर्योद्भटास्ते सुभटास्ततः। आशु विज्ञपयामासुर्नष्टा ख कोशलं नृपम् // 16 / / राज्ञापि प्रहितां कोपाद्वाहिनीमतिवेगिनीम् / उदन्वान् विदधे खङ्गः कुमारस्य पराङ्मखीम // 17 // स्वसैन्यदैन्यकुद्धोऽथ स्वयं कोशलभृपतिः / आगात्सर्वाभिसारेण योद्धमारुह्य हस्तिनम् // 18 // चौरं त्रातुं कुमारोऽपि REE-A-32- // 309 // * H
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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