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________________ श्रीअमम // 308 // यदि तद्भगिनी नृणाम् / आत्मना चेत्तनूजा तत्परस्त्री त्वन्ययोगिनी // 81 // अस्यास्तत्सर्वथा त्याग एव युक्तः सतामिह / क्षणिका-* जिनेश| क्षणिकयोस्तु नैव भोगः कथञ्चन // 82 // युग्मम् / / स्वयंकृताभ्यां दारिद्रयैश्वर्याभ्यां त्यागयोगतः / विडम्बयति याऽधर्मिसंगादिव | चरित्रम् / चला जगत् // 83 // सोदरा कालकूटस्य हन्ति स्वार्थिनो जनान् / प्रापयत्यपि पाथोधिपाथोऽभ्यस्तामधोगतिम् / / 84 // पण्यस्त्रियः दीक्षां प्रपाश्रिय इव तस्याः पापात्मनः कृते / हा हारयन्ति दुःप्रापं मर्त्यवं मूर्खशेखराः // 85 // यथा तृणाय मन्यन्ते देहं लक्ष्मीकृते जडाः / ल्य माहेन्द्र चित्रगति तथा चेन्मुक्तये न्यूनं तदा स्याद्देहिनां किमु ? // 86 // विमृश्येति स्थिरं बिभ्रद्वैराग्यं प्रातरिन्दुवत् / संसाराद् भैरवाद्विभ्यद् द्वेधा वोजातः विषयनिस्पृहः // 87 / / पुत्र पुरन्दरं नाम्ना ज्येष्ठं रत्नवतीभवम् / राज्ये सुलग्ने संस्थाप्य महोत्सवपुरसरम् // 88 // सोदराभ्यां समं ताभ्यां रत्नवत्यापि चाग्रहीत् / खेचरेन्द्रश्चित्रगतिः सूरेदमधराद् व्रतम् // 89 // स०कु० // तपस्तत्वा चिरं कृत्वा खड्गधाराशित व्रतम् / पादपोपगमं चान्ते श्रित्वा चित्रगतिर्मुनिः // 90 // मृत्वा महर्द्धिर्माहेन्द्रे कल्पे समभवत्सुरः / प्रापुस्तत्रैव देवत्वं भ्रातरौ रत्नवत्यपि // 91 / / इतश्च प्रत्यग्विदेहसरोलंकारकारणम् / विजयः पद्म इत्यास्ते राजहंसविलासभूः // 92 // पुरं सिंहपुरं तस्मिन्नस्ति वैरीभभंगकृत् / उपान्ते केशरैर्विद्युत्पिञ्जरैरभिभासुरम् // 13 // हरिणन्दीति तत्रासीद् दासीकृतरिपुर्नृपः / यत्प्रतापप्रदीपस्य नभः कपरवद् बभौ // 94 // तस्य प्रिया स्मराभीष्टदर्शना प्रियदर्शना / ययाऽऽस्यनिर्जितो दास्यमंकयित्वेन्दुराप्यत // 95 // च्युत्वा चित्रगतेर्जीव सर्ग-७ स्तुर्यात्कल्पात्तयोः सुतः / अपराजितनामाऽभूदग्रधामांशुमानिव // 16 // / अयं पालयिता प्रौढो मामित्याशावशादिव / एकयापि पञ्चमूर्तीभूय धाव्या न्यवद्धिं सः // 97 / / क्रमात्कलाभिस्तं वीक्ष्य वृत्तमुन्मु- // 308 // क्तशैशवम् / शिवाय यौवनश्रीरप्याः स्त्रीणां कामिने स्पृहा // 98 // न्यास्थत् तदंगे लावण्य(भासुरं) तु कुतो विधिः / सुरासुरनृणां सृष्टौ
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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