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________________ श्रीअमम // 306 // जिनेशचरित्रम् / देवपुष्पवृष्टिः / पतिता चित्रगति मस्तके ऽनंगसिंहोऽपरेऽपि च / खेचराः सत्वरास्तत्राजग्मुः कृतजगन्मुदः // 43 // तत्र चित्रगतिः कृत्वा विचित्रां शाश्वताहताम् / द्रव्यतो भावतश्चार्चा चक्रे वाचाऽर्थचित्रया // 44 // धन्याः पश्यन्ति ते नाथ ! श्रेयोवाट्यामुख सुखम् / यद्वीक्षणाक्षणादेव देव! नश्यति | कल्मपम् // 45 // यदस्ति यदभूद्यच्च भावि मे जन्म तन्मया / पुण्यवन्नाथ ! निश्चित्ये प्राप्य त्वदर्शनोत्सवम् // 46 // लक्षणस्याप्यगम्योऽयमर्थः स्यान्मध्यमोऽपि यत् / उत्तमः पुरुषो युष्मत्पदयोगेन सर्वथा // 47 // मन्ये मर्दाभिषिक्तोऽहं मानां त्वमदीदृशः। यल्लोचनसुधावर्ति मूर्ति स्वामीदृशस्य मे // 48 // कल्पद्रुकामधुचिन्तामणिभ्योऽप्यतिदुर्लभाम् / त्वत्पादसेवामेवाहमर्थये सर्वथा प्रभो! // 49 // कृतैः कैः सुकृतैर्लक्ष्मीमीदृक्षामहमासदम् / इति दध्यौ ब्रह्मलोके श्रीसुमित्रसुरस्तदा // 50 // प्रेमस्थेमाविस्मृतस्य तदा | तस्य हृदि स्मृतः / मित्रं चित्रगतिर्दिव्यश्रीप्राप्तेर्मूलकारणम् // 51 // तं नन्दीश्वरचैत्यान्तः कुर्वाणं स तदा मुदा / द्वेधाऽप्यों निरीक्ष्याऽगाद् वेगात्प्रेम्णातिनिर्भरः॥५२॥ मूनि चित्रगतेः स्तोत्रं पटतस्तोपवानऽयम् / विद्याधरेषु पश्यत्सु पुष्पवृष्टिं विनिर्ममे // 53 // नेमे चित्रगतिः सर्वैविंगर्वैः खेचरैस्ततः। निश्चिक्येऽनङ्गसिंहेनाप्ययमात्मसुतावरः // 54 // सुरश्चित्रगति स्माहोपलक्षयसि मां किमु / सोऽप्य वे वेभि देवं त्वां जात्या व्यक्त्या पुनर्नहि // 55 / / सुमित्ररूपिणं देवं प्रेक्ष्य चित्रगतिः पुनः / आलिंग्योचे मया प्रापि *धम्मोऽयं त्वत्प्रसादतः // 56 // देवोऽप्यूचेऽनुग्रहाते दिव्या श्रीभुज्यते मया। विपाा मे मृतस्य स्यादन्यथा मर्यतापि न // 57 // कृतज्ञयोस्तयोरिन्थमन्योन्यमाप्रशंसतोः। श्रीसूरचक्रवामुमुदे खेचरेश्वरः // 58 // चित्रं चित्रगतेदेहे लावण्यामृतनिर्भरे / | तृप्ति रत्नवतीदृष्टिलेभे मरुमृगीव न // 59 / / एतां च निर्दयः पंचशरः शवरवत्तदा / हृदये ताडयामास शैरराकर्णपुखितः // 6 // अनंगसिंहस्तां वीक्ष्य विधुरामिति दध्यिवान् / आख्यातं सत्यमेवाद्य जज्ञे ज्ञानिनाऽखिलम् / / 61 // जहे सौ खड्गरनं मे पुष्पवृष्टि सर्ग-७ // 30 6 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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