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________________ श्रीअमम // 492 // क्षमा धर्तु क्षमोस्मीति त्रपावशात् / श्रितं महावराहेण लक्षणच्छद्मना ध्रुवम् // 71 / / गङ्गेव स्वर्णकमलं महीव स्वर्णभूधरम् / रस- जिनेश| सिद्धिरिव स्वर्ण द्यौरिव स्वर्णपादपम् // 72 // तापोत्तीर्णस्वर्णवणं निशीथसमये सुखम् / भद्रा प्रसोष्यते पुत्रं त्यक्तं गर्भोद्भवैर्मलैःचरित्रम् / | // 73 // पं०कु० // अष्टोत्तरसहस्रेण लक्षणैस्तमलङ्कतम् / वीक्ष्य स्वप्नोदित माता विस्मिता मन्स्यते जिनम् // 74 // जिने कल्पद्रुवजाते जिनजन्म प्रभावाः | भावी तत्राद्भुतं क्षणम् / नारकाणामपि सुखास्वादोऽन्येषां तु का ? कथा // 75 // रेरे प्रयात मोहाद्याः श्रीमान् जातो यतो जिनः इतीवाऽशासद् ध्वनिना दुन्दुभिर्दिव्यज्नाहतः // 76 / आः प्रावृषेण्यपर्जन्यवृष्टिसृष्टिं विनापि भूः / धर्ता मन्ये तदोच्छ्वास प्रहृष्टेव जिनागमात् // 77 // तत्र तीर्थे विरजसः स्नाता इव दिगङ्गनाः / तदाऽऽख्यायः स्वभर्तृणामिव संयोगयोग्यताम् // 78|| तमालश्यामलमपि व्योममण्डलमद्भुतम् / स्फाटिकादर्शवद् भावि तन्महोभिरिवोज्वलम् // 79 // पुण्यस्य निस्त्रैणगुणस्यावतारेऽप्यर्हतोद्भुतम् / | प्रवाहो गन्धवाहस्य भावी त्रैगुण्यभाजनम् // 80 // अत्यन्दुग्रहोद्योत उद्योत स्त्रिजगत्यपि / तदा भावी तमःस्तोमपाथोनाथै• ककुम्भभूः // 81 / / इतश्च दिक्कुमारीणां पूर्व कम्पात्तदासनैः / ज्ञापिण्यते जिनजन्म पश्चादवधिनाऽद्भुतम् / / 82 // स्वस्वावासेषु ताः सर्वाः स्तुत्वा नत्वा जिनेश्वरम् / आबद्धलास्यं गास्यन्ति हर्षोत्कर्षवशंवदाः // 83 / / गजदन्ताद्रिकूटाधोलौकिकग्रामधामतः / अष्टैध्यन्ति स्वविमानैः सादरं सत्तिमन्दिरम् // 84 // भोगंकरा भोगवती सुभोगा भोगमालिनी / सुवत्सा वत्समित्रा च पुष्पमाला त्व ताच पप्पमाला स्व- सर्ग-१७ | निन्दिता // 85 / / दत्त्वा प्रदक्षिणास्तिस्रो जनन्याश्च जिनस्य च / कृतप्रणामास्ता एवं वक्ष्यन्ति मुकुलत्कराः // 86 // दिक्कुमायों वयमधोलोकतो भक्तयेऽष्ट ते / आगताः स्मोन तन्मा स्म भैपीस्त्वं चारुलोचने ! // 87 // हृत्वा संवर्तवातेनायोजनं सूतिवेश्मतः / // 492 // पुद्गलानशुचीस्ताश्चान्तःस्था गास्यन्ति तद्गुणान् // 88 // नन्दनवनकूटाख्यादथाष्टावूलोकतः / स्वविमानैः समेष्यन्ति प्रमोदादिक्कु
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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