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________________ 6 * द्वितीयभवे * // 301 // * * धनवत्या च सहाऽनशनमाददे // 46 // मासस्यान्ते समाप्यायुः सौधर्मे भ्रातरौ सुरौ / धनो धनवती चास्तां शक्रसामानिको पुनः // 47 // अत्रैव भरते रूप्यगिरेरुत्तरपंक्तिगे / सुरतेजःपुरे विद्याधरेन्द्रः सुर इत्यभूत् // 48 // परोपकारिणः सर्वजगत्तापापहारिणः / | तस्य विद्युत्धनस्येवाजनि विद्युन्मती प्रिया // 49 // धनजीवश्युतः स्वर्गात्तस्याः कुक्षौ सरोजवत् / जज्ञे चित्रगतिर्नाम्ना हंसचित्रगतिः सुतः // 50 // शनै ल्यमतिक्रामन् स कलाभिः सुधांशुवत् / चक्रे चकोरचक्रस्य हर्षवर्षमनारतम् // 51 // इतश्चास्यैव रूप्याद्रेर्दक्षिण श्रेणिभूषणे / अनंगसिंहो राजासीत् पुरे श्रीशिवमन्दिरे॥५२॥ शशिप्रभायास्तत्पत्न्याः कुक्षौ मणिरिवाकरे। अवातारीद्धनवतीजीवः | सौधर्मतश्युतः // 53 // साऽभूत विबुधानन्दकन्दकन्दलनक्षमाम् / सम्पूर्ण समये पुत्री सुधामिव शशिप्रभा // 54 // बहुपुत्रोद्मजातेति | | साभृत्पित्रोरतिप्रिया। दत्तरत्नवतीत्याख्या लतेवाऽनूपजाबृधत् // 55 // कलाश्च सकलाः शीघ्र जग्राह स्त्रीजनोचिताः। सा क्रमाद् | | यौवनं प्राप्ता संभृतं मण्डनं तनोः // 56 // कुमुद्वत्या इवास्याः कः पुत्र्याः स्यादिन्दुवद्वरः। पित्रेति पृष्टो दैवज्ञः कथयामासिवानिति // 57 // योऽसिरनं तवाच्छेत्ता दिव्या यस्य च मूर्द्धनि / सिद्धचैत्यस्तुतिकृतः पुष्पवृष्टिभविष्यति // 58 // स एव भूप! त्वत्पुत्रीमिमां | रत्नवतीं वरः / शुद्धपक्षद्वयो हंस इव हंसी विवक्ष्यति // 59 // युग्मम् // इति विद्याधराधीशः श्रुत्वा तुष्टमनाः स्वयम् / संप्रीण्य प्रीति* दानेन निमित्तझं व्यस यत् // 60 / / इतश्चात्रैव भरते पुरे चक्रपुरे नृपः। सुग्रीवोऽभूनमदीवरमित्रैरपि संश्रितः॥६॥ पत्न्यां तस्य || यशस्वत्यां सुमित्रोऽभूत्तनुद्भवः / पद्मनामा तु भद्रायामग्रजावरजौ च तौ // 62 // तयोः सुमित्रः श्रीजैनशासनस्थः कृपापरः / गम्भीरो | विनयी दक्षोऽवरजस्तद्विपर्ययः॥६॥ जीवत्यस्मिन्न मत्स्नो राज्यं स्यादिति जानती / नाम्नैव विष्टिवद् भद्रा सुमित्राय विषं ददौ || // 64 // संचारिते तमखिन्या तयाशु ध्वान्तवद् विषे / सुमित्रे व्यसनं प्राप्ते चित्रं पदो व्यकास्थत // 65 // मूर्छया लुठिताद भमौ तृतीयभवे खेचरेन्द्र पुत्रचित्रगतिर्नाम्ना अन्याऽनङ्ग सिंहपुत्री रत्नवती नाना * * * * // 301 // * * *
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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