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________________ श्रीअमम // 30 // ददृशिषेऽशेषः पुण्यैः प्राच्यैः पचेलिमैः // 27 // पर्यन्तदेशे वसतां मादृशां त्वादृशः सह / मेलापो दुर्लभः स्वादुजलैर्मरुनृणामिव | जिनेश॥२८॥ पृच्छामि भगवन् ! कस्मादीदृशी ते दशाऽभवत् / आख्याहि यदि नो खेदो गोप्यं वाऽस्ति न किञ्चन // 29 // उवाच साधुः चरित्रम् / खेदो मे भववासेन तत्त्वतः / शुभोदर्कस्तु खेदोऽय विहारेण जिनोदितः // 30 // मुनिचन्द्राभिधानोऽहं गच्छवासी तपोधनः / श्रि- मुनिवैयातोऽध्वानमनगारा यदुद्यतविहारिणः // 31 // इतश्च ततश्च दिग्मूढः सार्थाद्धीनो वने भ्रमन् / आगामिह तृषाक्रान्तो मूर्च्छया चापतं | वृस्यं भुवि // 32 // युवयोरूपचारैश्चाऽपमूच्र्छश्चेतना पुनः / प्रापं प्रत्युपकाराय धर्मलाभोऽस्तु सम्प्रति // 33 // मूर्च्छया गतसंज्ञोऽहमक धनधनवती दीक्षा च स्मादभवं यथा / भवेत्र तादृशं सर्व तद् धर्मः शरणं नृणाम् // 34 // यथाहि विपदोमुष्या युवाम्यामुद्धृतोऽस्म्यहम् / धर्मस्तथापदम्भोधौ निमनं त्रायते जगत् // 35 / / तस्माच्च साधोराख्यतवतो धर्म द्विमेदतः / सम्यक्त्वमूलं गृहिणामाददे सप्रियो धनः // 36 // | प्रत्यलाभि गृहे नीत्वा भक्तपानैर्द्धनेन सः। मासं यावदवास्थापि सम्यग् धर्म च शिक्षितुम् / / 37 // पूर्णे कल्पे विहृत्याथ साधुर्ग| च्छस्य सोऽमिलत् / निपुणौ श्राद्धधर्मे चाभूतां धनवतीधनौ // 38 // पुराऽप्यनन्यसामान्यं तयोः प्रेम किमप्यऽभूत् / पुनर्विशेषि धम्मॆक्यात्सुवर्णमिव सौरभात् // 39 // पित्रा न्यवेशि स्वे राज्ये धनो निधनयायिना / अपालयच्च सुश्राद्धधर्मास्थित्या समं महीम् | // 40 // उद्यानपालस्तस्याऽऽख्यदऽन्यदेति वसुन्धरः / आयातपूर्वी देवाऽगादुद्याने त्वद्गुरुर्मुनिः // 41 // धनवत्या सह धनो राजा गन्ना * * ननाम तम् / शुश्राव भववैराग्यकरी तस्माच्च देशनाम् // 42 // संसारवासादुद्विमो धनो धनवतीभवम् / सुतं जयन्तं पुण्येऽन्हि निज राज्ये न्यवीविशत् // 43 // वसुन्धरान्मुनेर्दीक्षां धनराजः सहप्रियः। धनदत्तधनदेवभ्रातृभ्यामन्वितोऽग्रहीत् // 44 // तं राजर्षि तपो- // 30 // | निष्ठं द्विधा शिक्षाविचक्षणम् / दृष्टपारं श्रुताम्भोधेस्थित्सरिपदे गुरुः // 45 // स प्रबोध्य बहून् राज्ञो यतिश्रावधर्मयोः / भ्रातृभ्यां सर्ग-७
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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