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________________ जिनेश श्रीअममAण्यकोऽहमेबैकस्तरश्येन विडम्बितः। दानं दातुं तपस्तप्तुं चाक्षमो हाऽस्मि रकवत् // 62 / / कुरङ्गोऽपि सुरङ्गोऽसौ तदा भावनयाऽनया। या भावनयाऽनया। चित्र दानतपःपुण्यदायादोऽभूत्तयोः समम् // 63 / / एवं त्रयोऽपि सद्ध्याना रथकृन्मृगसीरिणः / अग्निरे पेतुपा वात्याहतार्द्धच्छिन्न- चरित्रम् / // 472 // शाखिना // 64 // समं ते जज्ञिरे ब्रह्मलोक कल्पे महद्धयः / पद्मोत्तरविमानान्तस्त्रयोऽपि प्रवराः सुराः॥६५।। बलस्योदारतां वन्दे निदर्शिता रथकारमृगौ गया / स्वां लक्ष्मी लम्भितान तुर्याशधनिकावपि // 66 // रामो बतं वर्षशतं निर्वाह्य सुरवैभवम् / संप्राप्तोऽवधिना बलदेवेन खे विमाने कृष्णमद्राक्षीद्वालुकागतम् // 67 / / तत्स्नेहमोहितः कृत्वा वैक्रियवपुरंजसा / तत्र कृत्वाऽऽलिङ्गय कृष्णमिति रामसुरोऽब्रवीत् // 68 // स्वयुक्ता | त्वद्भ्राताऽस्मि बलखातुं त्वामागां ब्रह्मलोकतः / किं ? ते समाधानं कुर्वेऽधुना शाधि निराधिकः // 69 // तेनेत्युक्त्वोद्दधे कृष्णः विष्णुमतिसोऽपि पारदवद् द्रुतम् / विशीर्य तत्करात्पृथव्यां पतितो मिलितश्च हा // 70|| आलिङ्गनेनाऽभिधानख्यानेनावधिनाऽपि च / कृष्णो जनानामज्ञात्वा बलं भक्त्याऽभ्युत्थाय प्राणमन्मुदा // 71 / / बलदेवोऽवदद् भ्रातः सुख वैषयिकं प्रभुः / नेमियंदाख्यदुःखान्तं तते संवादमा. पजस निवारणाय गमत् / / 72 / / यद्यपि त्वां कर्मबद्धं बन्धो ! नो नेतुमीशिषे / तथापि त्वन्मनःप्रीत्यै स्थितोऽस्मीह करोमि किम् ? // 73 / / कृष्णोऽप्यवादीदार्य स्यात् त्वया पार्श्वेस्थितेन किम् ? / अवश्यभोग्य स्खोपात्तं वालुकावासकर्म यत् // 74 / / अस्मादपि दुनोत्येतत्तया दुर्दशयाऽऽवयोः / दधुर्य१र्जनास्तोपमसन्तोपं च सज्जनाः / / 75 // तद्याहि भरते शङ्खचक्रशाङ्गगदाधरम् / ता_ध्वजं दर्शयेर्मा पीत. सर्ग-१५ वस्त्रं विमानगम् / / 76 / / नीलाम्बरं विमानस्थं तालकेतुं पुरे पुरे / दर्शयेः स्वं च मुसलहलधारिणमम्बरे // 77 // यथा व्योमचरौ रामकृष्णौ स्वेच्छाचरौ सदा। प्रघोषोऽयं जने विष्वग् भवेत् प्रागन्यत्कृतिच्छिदे // 78 // बलदेवः कृष्णशिक्षा तामादृत्येति मोहतः। // 472 // अकरोद्भरते गत्वा धिग् भ्रान्तिस्तादृशामपि // 79 // आख्यच्चैप विश्वसृष्टिस्थितिप्रलयकारिणः / वयं दिवः स्वेच्छयात्रायामो या.*
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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