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________________ श्रीश्रमम जिनेश // 466 // संदिश्येति गते रामे जरामनुधनुर्द्धरः / दैवात्तत्राऽगमल्लम्बकूचों व्याघ्रत्वगावृतः // 48 // मृगयार्थ बने भ्राम्यन् / वृक्षच्छन्नं तथा| स्थितम् / कृष्णं दृष्ट्वा मृगभ्रान्त्या स विव्याधेषुणा तले // 49 // अथोत्थायाऽवदत्कृष्णः को मां भोः क्षत्रियाधमः / अनालप्य च्छ- चरित्रम् / लात्सुप्तं निर्मन्तुं चावधीत्तले // 50 // अज्ञातज्ञातिनामा च न मयाऽघाति वैयपि / तदाचश्व कुलं नामापि स्वं मे क्षत्रियोऽसि चेत् जरासुनुना // 51 // व्याधोऽप्याख्यद् यदुवंश्यो वसुदेवांगजोऽस्म्यहम् / जराकुमारनामा श्रीनेमेः श्रुत्वा वचस्तदा // 52 // कृष्ण त्रातुमिहावासंकाशाम्बवने विद्धो पादद्वादशाब्दी तथाऽत्यगाम् / मर्त्यजातिं च नाऽपश्यं तत्त्वं कोऽसीति शंस मे // 53 // युग्मम् / / कृष्णोऽप्यवादीदेोहि वं त्रातुं यमि तले कृष्णो हागमः। स एवास्मि हरिभ्राता तव क्लेशकरो वृथा // 54 // उपलक्ष्य गिरागत्य वीक्ष्य विद्धं तले हरिम् / मूच्छित्वा क्षणमुत्थाय रुरो मृगबुद्ध्या दोचजरात्मजः॥५५।। कृष्णः पृष्टश्च तेनाऽऽख्यत्तत्प्रवासात्प्रभृत्यपि / कथां सर्वां पुरीदाहस्वांहिवेधावधि जवात् // 56 // सोऽनिन्द खं रुदन्नवं धिग्मां वज्रमयं यतः / श्रुत्वा श्रीनेमेर्वचः पक्कै रुवन्नास्फुटं द्विधा // 57 / / ममारण्येऽत्र वसतोऽप्यभूयंच्छरगोचरः। | तन्मन्ये न युगान्तेऽपि जैनी वागऽन्यथा भवेत् / / 58|| आख्यत्त्वद्वधकं नेमिमा॑ नो मत्कर्म तत्पुनः / आनीय येनाऽरण्येऽपि सूत्रितस्त्वत्कृतेऽन्तकृत् / / 59 / / अभूवमहमेवैको दुन्दोः पुत्रेषु हाधमः / कुलधुर्यो लघुर्वन्धुर्विपद्यऽवधि यन्मया // 60 // युक्ता मे म्लेच्छता यद्वा वृद्धि यस्य श्रियाऽसदम् / बन्धुं तमेव कल्पद्रं यत्पापो जनिवानऽहम् // 61 // मम पापासहा सर्वसहाऽप्येवं न | चेत्ततः / दत्तां सा विवरं यामि स्वशुद्धय निरये यथा // 62 // हुं ज्ञातमथवा कर्ती विशुद्धिमियमेव मे / बन्धुहत्यांहसो लोकधिकारस्तैः सुदासहैः // 63 / / धातर्यदुकुले ख मां व्यधास्यश्चेन्न मौख्यतः। नाभविष्यत्ततो हत्यापापांशस्तेऽपि दुःसहः // 64 // कृष्णोऽथ // 46 // सास्रक् मोचे विषादेन कृतं कृतिन् / का कथा नः सुरैरप्यलंघ्यैव भवितव्यता / / 65 / / सौख्यदाने प्रतिभुवां क्षये प्राक्शुभकर्मणाम् /
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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