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________________ श्रीअमम जिनेशचरित्रम् / गोपीसरा // 428 // मनोरधानांगमलकत्तु कामा न्या द्भवात् / नीरञ्जनं विलक्षाश्च दक्षा अपि निजप्रियाः // 88 // विषादस्य निपादस्य वश्यात्माऽचिन्तयन्क्षणम् / सौभ्रात्रं मे धिगेता। चेन्नेमिभुक्ते श्रियं नहि / / 89 / / युग्मम् / / यद्यस्य शान्तमुत्साय हृदि प्राक् स्थाप्यते रतिः। श्रृंगारद्रोरादिबीजं स्थायीभावः कथंचन // 90 // आलम्बनोद्दीपनाख्यविभावैर्भावितस्ततः / अनुभावैः साच्चिकैश्च पुष्टः संचारिभिः सच // 91 // यायाच्चेद्रसान्तरेण स्फुरितेनामसान्कुतः / पूरयेद् यदि नामायं भ्राता मम मनोरथान् // 12 // त्रि०वि०॥ एवं विमृश्योपेन्द्रेण दिव्यैः स्वावचितः मुमैः / गक्रीडाया नीमपि निविमाला ग्रथित्वा न्यक्षेपि नेमेः कण्ठेऽतिसौहृदात् // 93 // तं सर्वांगमलंकत्तुं कत्तुं स्त्रीष्वनुरागिणम् / आदिश्यन्ताऽष्ट भामाद्याः प्रगल्भा कारता स्तेन वल्लभाः // 14 // अग्रस्था दोलतोल्लासात् कृतदोमूलदर्शना / तत्र भामा न्याधान्नमेमूनि पुष्पावतंसकम् // 95 // निघ्नती निश्चयः कुचकुम्भाभ्यामिभीवाऽभीश्च पृष्ठतः / बबन्ध रुक्मिणी मल्लीगर्भ धम्मिलमस्य च // 96 // स्वर्णपुष्पसुमैनव्या क्लुप्तां जाम्बवती स्वयम् / घटीमटीकयन्मौलौ विगलन्नीविबन्धना // 97 / / राकेन्दुगौरं कापूर लक्ष्मणा तिलकं व्यधात् / भाले व्योमविशालेऽस्य चुम्बन्ती वदनं मुहुः // 98 // सुसीमा रागसीमानं तं नेतुं कर्णयोर्मुहुः / स्पृशन्त्यारोपयत् पुष्पोत्सौ कन्दर्पदोलयोः // 99 // नेमे कपोलयो!री व्यधारपत्रांकुगंतरा / मकरच्छद्मना मन्ये मकरध्वजशासनम् // 100 // नेमवेयकं पद्मावती पद्माग्रगुम्फितम् / न्यधासुधाकूपनिभां नाभिं स्वां व्यञ्जती मुहुः // 1 // गान्धारी पुष्पकेयूरे हर्षपुरेण दोर्द्वये / चिराखिन्नतरा खिन्नकराऽबध्नात्प्रभोर्मुहुः सर्ग-१२ | // 2 // इत्थं बिलासैः स्वभ्रातृपत्नीनां नेमिरंगजेः / नाऽभेदि वनदुर्भेदस्वान्तः शान्तः स्वभावतः ॥शा कृष्णादेशात्ततो वारत्रण | | वृष्णिविलासिभिः सार्द्ध प्रचक्रमे नेनेः साक्ष्यमापानकोत्सवम् // 4 // तदानीं स्पर्द्धयेवैपां वारुणीपानमानसः / विवेशाऽकोपि चर- // 428 // माम्भोधौ तत्र हि तञ्जनिः // 5 / / रत्नौघद्युतिभिर्जातदीप्रदीपशिखाभ्रमः / पतंगो न्यपतद् व्योम्नस्तैलपात्र इवाम्बुधौ // 6 // सूर्या
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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