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________________ श्रीअमम जिनेश चरित्रम्। // 426 // कृष्ण विचार: जयश्रीवलयं व्यधात् ॥५०॥धृते तु नेमिना वामे भुजे दोया जनार्दनः / लग्नो बलालघूकृत्यान्दोलि ज्येष्ठोऽपि बालवत् // 51 // | खलाधवं निगृह्याऽवगृह्य नेमिमथो हरिः।प्रोचे तृणायते विश्वं मया रामस्त्वयात्वहम् // 52 // विसृज्य कृष्णः शैवेयं रहः सीरिणमब्रवीत् / यद्दौर्बलाब्धौ चक्रयर्द्धचक्रिशक्रास्तृणन्त्यहो // 53 / / संसाध्य भारतं सर्वमेकच्छत्रमयं न किम् / भुनक्ति बन्धुः साम्राज्य किं ? भेजेऽलसतां द्विधा // 54 // युग्मम् // रामः स्मित्वा तमाशंकां विनेतुं प्रत्यभाषत / राज्यमेतद्रलादेवाऽऽवयोरत्र न संशयः / / 5 / / | राज्ञां लक्ष विलक्षं चेन्नाकरिष्यदसौ बलात् / जरासन्धरणे तत्तेऽभविष्यद् विजयः कुतः // 56 / / सम्प्रत्येप नाऽशक्त्या विविक्त्या विमुखः पुनः / राज्यस्य दृश्यते सिंहः स्पृहये किं ? शवामिपम् / / 57 // तथापि संस्मरन्नेमेबलमाकम्पसंकुलः / हरिदेवतयाञ्चोधीत्यहो मोहः | सतामपि // 58 // प्रोक्तं नमिजिनेन प्राक् मत्तो मात्राधिको द्विधा / भावी नेमिजिनः कौमार एव व्रतसंश्रयात् / / 59 // तदस्मान्मा स्म भैपीस्त्वमिति दिव्यगिरा धृतिम् / नीतो बलं विसृज्याऽगाद् विष्णुरन्तःपुरे निजे // 60 // युग्मम् // तत्राऽऽह्वाय्य नेमिमेकासनस्थस्तद्युतो हरिः / स्नानं विलेपनं दिव्य भोजनं विधिवद् व्यधात् // 61 // आदिशत्सोविदल्लांश्च पत्नी मादिकाश्च सः। न स्खल्यः क्रीडनीयश्च नेमिरत्राऽभयं हि वः // 62 / / निर्विकारः कुमारोऽपि तारुण्येऽपि शिवांगभूः / ब्रह्माश्रितोऽपि चिक्रीड चित्रं कृष्णावरोधगः // 63 / / अथागते वसन्तती सान्तःपुरपुरीजनः / सश्रीनेमिः स वृष्णिश्च रैवतोद्यानमीयिवान् // 64 // नामवर्णसवर्णालिकम्रास्तत्रासमञ्जरीः / स्वर्णभल्लीरिवाऽनंगधन्धिनः स लोकयन् // 65 / / पुष्पंधयान् सेरमल्लीवल्लीपुष्पानसंगिनः / मूर्तिभेदानिव स्वस्य सोऽपश्यच्छंखपूरकान् // 66 // वने वसन्तं मत्तेभं प्रेक्ष्य तजीविना कृतम् / मेने स मरुता पांसुतल्पयन्कौसुमं रजः // 67 // दूरं दोला विलोलाश्चारुह्य व्यावत्तिनीमुहुः / मेने देवीरिखाकाशलासिनीः सविलासिनीः॥६८|| शंके पंकेरुहाक्षीणां सगीतेऽधीतिनः पिकान् / सर्ग-१२ // 426 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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