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________________ श्रीअमम // 410 // दशाहेर्दशभिः श्रीमत्समुद्रविजयादिभिः / महावीरैर्बलदेवप्रमुखैरपि पञ्चभिः // 27 // सहस्रैश्च षोडशभिरुग्रसेनादिभूभुजाम् / प्रद्युम्ना जिनेशदिकुमाराणां सार्द्धकोटीत्रयेण च // 28 // षष्ठ्यासहस्रः शाम्बादिदुर्दान्ततनुजन्मनाम् / सहस्रैरेकविंशत्या बीरसेनादिभिभटैः॥२९॥ चरित्रम्। षष्टपञ्चाशत्सहरुया च महासेनादिभूभृताम् / महीयसां तळवर्गनियुक्तानां महौजसाम् // 30 // अन्यैरपि श्रेष्ठिसार्थवाहेभ्यप्रमुखैः सदा। वासुदेवसहस्रसंख्यैः पादाब्ज कृष्णस्याऽसेवि गवत् // 31 // पं० कु० // राज्ञां षोडशभिर्भक्त्या सहस्रैरथ विष्णवे / द्वे द्वे कन्ये अढौक्येतां परिवार कथनम् सरत्नप्राभृते पृथक् // 32 // तासूपयेमे षोडशसहस्रीं श्रीजनार्दनः / बलोऽप्यष्ट सहस्राणि कुमारा अपि तावतीः॥३३॥ चक्रवर्तिकमला* ईमच्युतस्यैवमत्र हृदयालुशेखरः / वर्णनीयमखिलं जिनागमप्रोक्तमन्यदपि सूरिपुंगवैः // 34 // अममचरिते भाविन्येवं तयोः सहजन्मनोर्बलहरिभवे तुर्ये धुर्येऽर्जनाय जिनश्रियः।प्रतिहरिजयादेकच्छत्रां महीमनुशासतोः सुरभव इवौपम्यातीतैर्ययुः दिवसाः सुखैः।३५। इत्याचार्यश्रीमुनिरत्नविरचिते श्रीअममस्वामिचरिते महाकाव्ये तुर्यभवे जरासन्धवध-वासुदेवदिग्विजय-द्वारकाप्रवेशअर्द्धचक्रवर्तिपदाभिषेकोत्सव-तद्विभूतिवर्णनो-दशमः सर्गः // 60 436 // एकादशः सर्गः। | सर्ग-११ इतः कृष्णप्रसादेन पाण्डवैः स्वपुरे सुखम् / सद्रौपदीकैद्धैधापि विषयश्रीरभुज्यत // 1 // द्रौपद्याश्चाऽन्यदा सौधमागात् केलि // 410 // प्रियो मुनिः। तं चाऽविरतमित्येषा नैवायदवज्ञया // 2 // अनार्या दुःखभाक् कार्या कया युक्त्या खसाविति / ध्यायंस्तद्गेहतो.
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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