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________________ // 40 // शिशुपाल वधः * // 55|| अथो यथोचितं स्वस्वव्यूहौ कृत्वा रणोत्सुकैः / जरासन्धकृष्णवीरैर्जगजें दिग्गजरिव // 56 / / सेनानित्वे शिशुपालो जरासन्धनिवेशितः। संग्रामायाञ्चलद्वाजिबातेः पादपदप्लुतैः // 57 // उच्छृखलं खलन्तं वाऽचखलम्निश्चलोऽद्रिवत् / नदीपूरमिव क्रूरमनाधृष्टिबलैयुतः // 58 // हस्तायोल्लासिभल्लासिमुद्रादिभिरायुधैः / युद्धं रंगत्तुरंगस्थाश्चक्रुः स्थामोत्कटा भटाः॥५९|| भ्रष्टं स्वसादिनं पादकटकाग्रावलम्बिनम् / धावन्नारोहयांचक्रे पुनः कोऽप्यश्वकुञ्जरः / / 60 // वक्षस्याहत्य कोप्यश्वः पुरोऽश्वान् सनिषादिनः / स्वामियुद्धेच्छया सार्द्ध धावन्नेव व्यपातयत् // 61 / / पतितावश्वतः पादकटकान्तगताहिको / छुर्या प्रजहतुः कौचिदधोवस्त्रौ कचग्रहात् // 62 // खुरक्षुरप्रैरत्राली द्विपद्घातोद्गतां लुनन् / क्रोधाद्दधावे कोऽप्यश्वः समं स्वारोहचेतसा // 63 / / स्वयं पृष्टो जरासन्धभूभुजा सचिवाग्रणीः। हंसकोऽदर्शयन्नंगुल्यग्रेणकैकशस्तदा // 64 // नामग्राहं पृथग्वणरश्वैः पालिध्वजै रथैः / यादवान्पाण्डवानन्यानपि राज्ञो न्यवेदयत् // 65 / / युग्मम् // युवराजो यमराज इवाथ मगधेशजः / यवनो जवनो रोपादक्रूरादिवढौ. कत // 66 // तैः शौर्यात्संमुखैः पञ्चमुखैरिव सहाजनि / संगरप्रसरस्तस्य सुरासुरभयंकरः॥६७।। रामानुजोऽरुधत्तं च सारणः सरथो. |ऽन्तरा / गजे परिणते खङ्गेनाऽच्छिदत् तच्छिरो द्रुवत् // 68 / / हर्पः कृष्णस्य सुभटै रणनाट्य नटैरिव / विषादस्तु जरासन्धस्याऽभिनिन्ये समं तदा / / 69 / / जरासन्धः स्फुरत्क्रोधस्ततः सुतबधश्रुतेः / रामकृष्णौ प्रति धनुर्धनान् प्रेरयद्रथम् // 70 // व्यूहस्य तायरूपस्य तीक्ष्णशक्तीनखानिव / आनन्दादीन् दश रामतनूजानऽवधीदसौ // 71 // कृष्णसैन्यं पलायिष्ट प्रकृष्टभयभृत्ततः। गोयूथमित्र | शार्दूलो जरासन्धोऽन्वगादिति // 72 / / शिशुपालोऽवदत् स्मिखा नेदं भोः कृष्णगोकुलम् / रणक्षोणीतलं ह्येतत् सेव्यं सच्चोत्कटैर्भटेः | // 73 / / कृष्णोऽभ्यधत्त ते नाम्ना कुण्डिनत्यजनेन च / राजन् प्रतिपदोक्तव रणरंगैकमल्लता // 74 // तद्याहि सखरं पश्चादपि यास्यति // 401 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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