________________ श्रीअमम जिनेशचरित्रम् / महानेमिपराक्रमः // 10 // द्वयवधक्रुधा / अथोत्तस्थौ स्थामधाम्नां सीमा भीमादिभिः सह // 36 // हिरण्यनाभं क्रोधान्धमनाधृष्टिरयोधयत् / महारथास्तथाऽन्योन्यमपरेऽपि डुढौकिरे // 37 // तत्र कश्चिद्रथी वामे पाणी वाणौघजर्जरे / धनुर्बद्धा ध्वजदण्डे काण्डैः शत्रुमताडयत् // 38 // चित्रं व्यस्त्ररथोऽप्येको विजिग्ये चक्रवर्तिनम् / भग्नस्य स्वरथस्यैव चक्र प्रहरणं दधत् // 39 // कश्चिन्नरेन्द्रो निहते सूते तंत्रेण वैरिणा। सुवर्ण तेजसा सिद्धगन्धर्वोऽसाधयत्तराम् // 40 // पादाग्रात्ततोऽत्र रश्मिनिहतेऽपिच सारथौ। रथिरो वाहयन् वाहान् कोऽप्ययुध्यत विद्विपा // 41 // वाणाः प्राणाधिकाः कस्याप्ययुभद्यमभेदिनः। विद्वपिविशिखैरन्तस्ताडिता अपि सर्पवत् // 42 // महानेमि कामरूपेश्वरोऽधावद् गजे स्थितः / ऊचे चापेहि यद्रूक्मी नाहं किन्त्वस्मि तारकिः // 43 // उक्त्वेति यावत्स गजं प्रेरयत्तावदञ्जसा / महानेमिर्मण्डलेनाऽभ्रमयत् स्यन्दनं निजम् // 44 // महानेमिः शरैः तस्य गजं पादतलेष्वथ / आहत्य पातयामास महीध्रमिव वासवः // 45 / / संस्मार्य नासीति रुक्मीति वचः स्पृष्ट्वा धनुय॑या / तं मुमोच महानेमिर्दयावीरतयाऽद्भुतम् / / 46 // भूरिश्रवौ युयुधानौ युधि क्षीणदिव्यायुधौ / मुष्ठामुष्ठि सुरदृष्टितुष्टये चक्रतुश्चिरम् // 47|| कृष्णपक्षोद्योतकारी चित्रं सात्यकिरिन्दुवत् / जघान भूरिश्रवसं योक्तृवद् गलग्रहात् // 48 // अयुध्येतामितो मृत्तौ वीररौद्रौ रसाविव / मिथो भटावनाधृष्टिहिरण्यौ ध्वजिनीपती // 49 / / अथ त्यक्त्वा रथं खड्गफलको बलकौतुकात् / धृत्वा धीरौ महावीरौ तावन्योन्यमधावताम् // 50 // खड्गोऽनाधृष्टिभुजगो धाराद्वयरसज्ञकः। प्राणैः सार्धं हिर| ण्यस्य यशःक्षीरमपाद् द्रुतम् // 51 / / तदा च समदाश्वीयो धूतधूलीमलीमसः / स्नानार्थमहामहाय नायकोऽगात् पराम्बुधौ // 52 // सायं संहारविरमे वार्नी पूर्वापराविध / निःप्रत्यूहावुभौ व्यूहावपि स्वस्थानमीयतुः // 53 // रणरंगोद्भटानां च तद्भटानां कथश्चन / * चतुयुगायितचतुर्यामा श्यामान्तमागमत् // 54 // अथैतयुद्धसन्नद्धकुम्भिकुम्भोद्भवैरिख / सिन्दूरपूरैः सर्वांग रक्तो व्यक्तोऽभवद्रविः॥ सर्ग-१० // 40 //