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________________ श्रीकल्पकौमुद्यां क्षणे ॥ १८७॥ | सहस्सा सत्त सया पन्नासा चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं जाव उक्कोसिआ चउद्दसपुविसंपया होत्था || २१८ | उस भस्स णं३ नव सहस्सा ओहिनाणीणं उक्कोसिआ ओहिनाणिसंपया होत्था ॥ २१९ ॥ उसभस्स | गं३ वीससहस्सा केवलनाणीणं उक्कोसिआ केवलनाणिसंपया होत्था ॥ २२० ॥ उसभस्स णं३ वीससहस्सा छ सया वेउचिआणं उक्कोसिआ वेउद्द्वियसंपया होत्था ||२२१ ।। उस भस्स णं० बारस सहस्सा छच्च सया पन्नासा विउलमईणं अड्ढाइज्जेसु दीवेसु दोसु अ समुद्देसु सन्नीणं पंचिदिआणं पज्जत्तगाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं | उक्कोसिआ विउलम संपया होत्था || २२२ ॥ उसभस्स गं०३ बारस सहस्सा छच्च सया पन्नासा वाईणं उक्कोसिआ वाइसंपया होत्था || २२३ | उसभस्स गं३ वीसं अंतेवासिसहस्सा सिद्धा, चत्तालीसं अज्जिआसह| स्साओ सिद्धाओ || २२४ || उसभस्स ३ बावीस सहस्सा नव सया अणुत्तरोववाइआणं गइकल्लाणाणं जाव भद्दाणं उक्कोसिआ संपया होत्था || २२५ ॥ तत्र *उसभस्स णं दुविहा अंतगडभूमी होत्या, तंजहा - जुगंतगडभूमी अ परिआअंतगडभूमी अ, जाव (असंखेज्जाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी) युगान्तकृद्भूमिरसङ्ख्येयानि पुरु| षयुगानि प्रभोवंशानुक्रमे सिद्धानि, (अंतोमुहुत्त परिआए अंत्तमकासी) पर्यायान्तकृद्भूमिस्तु प्रभोः केवलोत्पत्तेरन्तर्मुहूर्तेन | मरुदेवी अन्तकृत्केवलित्वं प्राप्ता ||२२६ || तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे अरहा कोसलिए वीसं पुत्र्वसयसह| स्साइं कुमारवासमज्झे वसित्ता तेवट्ठि पुवसहस्साई रज्जवासमज्झे वसित्ता तेसीइं पुवसय सहस्साई अगार - | | वासमज्झे वसित्ता एगं वाससहस्सं छउमत्थपरियागं पाउणित्ता एवं पुत्रसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरि श्रीऋषभपरिवारः ।।१८७।।
SR No.600395
Book TitleKalpasutram
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorShantisagar
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1936
Total Pages246
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size22 MB
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