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गच्छा
चार
॥११९॥
KALATKAR
रिवारा मुणिसुइयस्स समीत्रं णीया दिक्खिया, खंदगेण संवट्टगवायं विद्वित्ता रायाणं सबलवाहणं पुरं च सकोहाविट्ठो बारसजोयणं खेत्तं णिड्डहति, अज्जवि डंडगारण्णंति भण्णति, इति निशीथ चूर्णिषोडशोद्देश के, ऋषिमंडलस्तोत्रे त्वेवम्- "एगुणे पंचसए, खंदगसीसाण कुंभकारकडे । पालयकयउवसग्गे, पत्ते पणमामि अपवग्गे ॥ १ ॥ " अथाऽर्जुनमालाकार सम्बन्धो यथाकाले २ रायगि गुणसिलए चेइए सेणिए राया चेल्लणा देवी, तत्थ णं रायगिहे अज्जुणए नामं मालागारे पग्विसति, अड्डे जाव अपरिभूए, तस्स णं अज्जुणयस्स मालागारस्स वैधुमती नाम भारिया होत्या माला, तस्स णं अज्जुणयस्स मालागारस्स रायगिहस्स नगरस्त बहिया एत्थ णं महं एगे पुरफारामे होत्या, किण्हे जाव निउरंबभूए दसद्धवण्णकुसुमे पासाईए ४ । तस्स णं पुप्फारामस्स अदूरसामंते एत्थ णं अज्जुणयस्स मालागारस्स अजयपज्जयपिइपज्जयागए अगेगकुलपु रिस परंपरागए मोगरपाणिस्स पडिमा एवं मई पलसहस्सनिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं गहाय चिट्ठति । तए णं से अज्जुणमालागारे बालपभिरं चेत्र मोगरपाणिजक्खभत्ते यावि होत्या, कल्ला कल्लिं पच्छयडियाई गेहति २ रायगिहाओ नगराओ पडिनिक्खमति २ जेणेव पुष्फारामे तेणेत्र उवागच्छद्दरपुप्फुचयं करेति अग्गाई बराई पुष्फाई गहाय जेणेव मोग्गरपाणिस्म जक्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छ २ मोग्गरपाणिस्स जक्रखस्स महरिहं पुप्फच्चणं करेइ २ जण्णुपायपडिए पणामं करेइ . २ तओ पच्छा रायमसि वित्तिं कप्पेमाणे विहरति, तत्थ ण रायगिहे नगरे ललिया नामं गोट्टी परिवसर, अट्ठा जाव अपरिभूया, जं कयकया यावि होत्या, तत्थ णं रायगिहे नगरे अण्णया कय पमोदे छुट्टे यावि होत्था । तए णं से अज्जुणए मालागारे कल्लं पभूयतराएहिं पुष्फेहिं कज्जमितिकट्टु पच्चूसकालसमयंसि बंधुमईए भारियाए सद्धि पच्छिमपिडयाई गेण्डति २
प्रNY TY
वृति:
॥ १११ ॥