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________________ METERNORWARNIN腳 मित्तो वा। हत्थिस्स व कुंथुस्स व, पएससंखा समा चैव ॥४॥ कालो जहा अणाई, अविणासी होइ तिमु वि कालेसु । तह जीवोवि अगाई, अविणासी तिसु वि कालेसु ॥५॥ गयणं जहा अस्वी, अवगाहगुणेण धिप्पई तं तु । जीवो तहा अस्वी, विनाणगुणेण पित्तत्वो ॥६॥ जह पुढवी अविणवा, आहारो होइ सवदवाणं । तह आहारो जीवो, नाणाईणं गुणगणाणं ॥७॥ अक्खयमणतमउलं, जह गयणं होइ तिसु वि कालेसु । तह जीवो अविणासी, अवडिओ तिसु वि कालेसु ॥८॥जह कणगाओ कोरंति, पज्जवा मउडकुंडलाईया । दत्वं कणगं तं चिय, नामविसेसो इमो अन्नो ॥९॥ एवं चउग्गईए, परिन्भर्मतस्स जीवकणगस्स । नामाई बहुविहाई, जीवदत्वं तयं चेव ॥२०॥ जह कम्मयरो कम्म, करेइ भुजेइ सो फलं तस्स । वह जीवो वि अ कम्म, करेइ भुंजेइ तस्स फलं ॥ ११ ॥ उज्जोवे दिवसं, जह सूरो बच्चई पुणो अत्यं । नय दीसइ सो सूरो, अन्न खित्तं पयासंतो ॥ १२ ॥ जह मूरो तह जीवो, भवंतरं वच्चए पुणो अन्नं । तत्थवि सरीरमन्नं, खित्तं व रवी पयासेइ ॥१३॥ फुल्लुप्पलकमलाणं, चंदणअगरूण सुरहिगंधीणं । घिप्पइ नासाइ गुणो, नय रूवं दीसए तेसिं ॥ १४ ॥ एवं नाणगुणेणं, पिप्पइ जीवो वि बुद्धिमंतेहिं । जह गंधो तह जीवो, न हु सक्खा कीरए भित्तुं ॥१५॥ भभामउद्दमद्दल-पणवमकुंदाण संखसन्नाणं । साचिय सुबइ केवलु त्ति न हु दीसई रूवं ॥१६॥ पच्चक्खं गहगहिओ, दीसइ पुरिसो न दीसइ पिसाओ। | आगारेहि मुणिज्जइ, एवं जीवो वि देहठिओ ॥१७॥ हसइ विरूसइ रूसइ, नच्चइ गाएइ रुयइ मुहदुक्खं । जीवो देहमइगओ, विविहपयारं पयंसेइ ॥ १८ ॥ जह आहारो भुत्तो, जिआण परिणमइ सत्तमेएहिं । वस १ सोणिय २ मंस ३ डिअ ४ मजा ५ तह मेय ६ मुक्केहिं ७॥१९॥ एवं अट्ठविहं चित्र, जीवेण अणाइसहगयं कम्मं । जह कणग पाहाणे, अणाइस
SR No.600392
Book TitleSatik Gacchachar Prakirnak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya, Danvijya Gani
PublisherDayavijay Granthmala
Publication Year1924
Total Pages316
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gacchachar
File Size25 MB
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