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भेद
विशिका
विशाता सिद्धाणं च विभत्ती तहेगरूवाण वीअतत्तण । पनरसहा पन्नत्तेह भगवया ओहभेएण ॥१॥तित्थाइसिद्धभेया संघे सइ हंति ४१९ सिद्ध
तित्थसिद्धत्ति । तदभावे जे सिद्धा अतित्थसिद्धा उ ते नेया ॥२॥ तित्थगरा तस्सिद्धा हुँति तदने अतित्थगरसिद्धा । सगबुद्धा त-16 ॥२२॥
|स्सिद्धा एवं पत्तेयबुद्धावि ॥ ३ ॥ इय बुद्धबोहियाविहु इत्थी पुरिसे णपुंसगे चेव । एवं सलिंगगिहिअनलिंगसिद्धा मुणेयव्वा ॥४॥
एगाणेगा य तहा तदेगसमयम्मि हुंति तस्सिद्धा । सेढीकेवलिभावे सिद्धी एते उ भवभेया ॥५॥ पडिबंधगाण इत्थं सेढीए & हुंति चरमदेहस्स । थीलिंगादीयाविहु भावा समयाविराहाओ ॥६॥ नवगुणठाणविहाणा इत्थीपमुहाण होइ अविरोहो । समएण है | सिद्धसंखाभिहाणओ चेव नायव्वा ॥ ७॥ अणियट्टिबायरो सो सेटिं नियमेणमिह समाणेइ । तीए य केवलं केवले य जम्मक्खए सिद्धी ॥८॥ पुरिसस्स वेयसंकमभावणं इत्थ गमणिगाऽजुत्ता। इत्थीणवि तब्भावो होइ तया सिद्धिभावाओ ॥९॥ लिंगमिह
भावलिंग पहाणमियरं तु होइ देहस्स । सिद्धी पुण जीवस्सा तम्हा एयं न किंचिदिह ॥१०॥ सत्तममहिपडिसहो उ रुद्दपरिणामविरहओ का तासि । सिद्धीए इट्ठफलो न साहुणित्थीण पडिसेहो ॥ ११॥ उत्तमपयपडिसेहो उ तासिं सहगारिजोगयाऽभावे । नियवीरिएण|
उ तहा केवलमवि हंदि अविरुद्धं ॥ १२ ॥ वीसित्थिगा उ पुरिसाण अट्ठसयमेगसमयओ सिज्झे। दस चेव नपुंसा वह उवरिं समएण पडिसेहो ॥ १३ ॥ इय चउरो गिहिलिंगे सलिंगसिद्धे सयं च अट्ठहियं । विनेय तु सलिंगे समएणं सिझमाणाणं ॥ १४ ॥ दो चेवुक्कोसाए चउरो जहबाइ मज्झिमाए य । अट्टाहिगं सयं खलु सिज्झइ ओगाहणाइ तहा ॥ १५ ॥ चसारि उडलोए दुए समुद्दे | तओ जले चेव । बावीसमहोलोए तिरिए अठुत्तरसयं तु ॥१६॥ बत्तीसा अडयाला सट्ठी बावत्तरी उ बोद्धव्वा । चुलसीई छन्नउई | दुरहियमठुत्तरसय च ॥ १७ ॥ एवं सिद्धाणंपिहु उवाहिभेएण होइ इह भेओ । तत्तं पुण सव्वेसि भगवंसाणं समं चेव ॥१८॥