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________________ श्रीविशेषण वत्यां ॥ १६ ॥ |म्मिवि णाणावरणम्मि जाणइ जगति । पासह य दंसणावरणविप्पणासम्मि सव्वण्णू ॥ १८० ॥ मइणाणा अणत्थंतरभूयस्व चक्खुदंसणस्सेह । जह दंसणोवयारो जुत्तो तह केवलैस्सावि ॥ १८१ ॥ भण्णइ चक्खुदंसणमइणाणत्तम्मि कोलभेयकयं । जं जत्थ दंसणं तत्थ णत्थि कालम्मि नाणं तु ॥ १८२ ॥ जइ वा जुगवं चक्खुदंसणमइणाणविसयया होज्जा । तो जुगवं छउमत्थेऽवि होज्ज उवओगदुगमेवं ॥ १८३ ।। तम्हा अचक्खुदंसणमिह दंसणमिट्टमोग्गहेहाओ । सव्वत्थ अवाओ धारणा य सुद्धं मइण्णाणं ॥ १८४ ॥ आह किमोग्गहमेतं ण दंसणं होइ सेसयं णाणं । भण्णइ एगसमइओ जमोग्गहो णोवओगो उ || १८५ || अंतोमुहुत्तमेत्तं उवओगो णिअमिओ जओ सुत्ते । तम्हा दंसणकालो सिद्धो फुडमोग्गहेहाओ ॥ १८६ ॥ जह सेसणाणदंसणणाणत्तं तह जिणम्मि किमणि १ । णाणत्तं केवलणाणदंसणाणं सलक्खणओ ॥ १८७ ॥ णाणं वत्तं दंसणमव्वत्तं भणइ देसियं समए । तो णाः णदंसणाणं जिणम्मि सविसेसणं जुत्तं ॥ १८८ ॥ भण्णइ केवलदंसणमव्वत्तं जेण होज्ज को हेऊ ? । जइ णाणांओ अण्णं वत्तं च हवेज्ज को दोसो ! ॥ १८९ ॥ जह सव्वं विष्णेय नाणेण जिणोऽमलं विजाणार । तह दंसणेण पासइ णिययावरणक्खए सम्म ॥ १९० ॥ जेसिमणि दंसणमण्णं णाणाहि जिणवरिंदस्स । तेसिं न पासइ जिणो सविसयणिययं जओ नाणं ॥ १९९ ॥ जह | पासइ तह पासउ पासइ सो जेण दंसणं तं से । जाणह अ जेण अरहा तं से णाणं निउत्तन्वं ॥ ९९२ ॥ जं केवलाई साई अपज्जवसियाई दोऽवि भणियाईं । तो चिंति केह जुगर्व जाणइ पासइ य सव्वष्णू ।। १९३॥ इहराईणिहणत्ते मिच्छावरणक्खआत्तवि जिणस्स । १ नाणं तमिह २ णाणाओ अ अण्णं. ३ जाणेइ. ४ ते ५ तिघेत्तव्वं, ४५ विशेषः ॥ १६ ॥
SR No.600390
Book TitlePratya Saraswat Vibhram Dan Shatrinshika Visheshanvati Vinshatika Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Kesarimal Samstha
PublisherRushabhdev Kesarimal Samstha
Publication Year1927
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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