________________
४५
श्रीविशेषण वयां
4%ASSESEX
सव्वहेव तं णत्थि । सिट्ठ चउविअप्पं च दसणं सासणे बहुसो ॥१६५ ॥ आह णउ सव्वसोच्चिय केवलिणो णत्थि दसणं किंतु । | णाणंति दसणंति अ एकं चित्र केवलं तस्स ॥ ॥ १६६ ॥ जइ एगत्तं दोण्हवि ता एगयरोवओगया जुत्ता । इयरा फुडमण्णत्तं पुण- विशषः | रुत्त निरत्थया वावि ॥ १६७ ।। पत्तेयावरणत्तं कह वा बारसविहोवओगत्तं। सागाराणागारं सिद्धाण य लक्खणं कह णु ॥१६॥ | णाणस्स जाणिअव्वे विसओ जइ सणस्स ददृब्वे । जुत्तं ते' इहरा पुण लक्खणवेहम्ममावहणं ॥१६९॥ अहवा जइ णाणेणवि दीसह | णज्जइ य दंसणेणावि । एवं खुणाणदंसणपरूवणा कप्पणामेत्तं ॥ १७० ॥ एवं च सेसदसणणाणाणवि णाम पत्तमेगत्तं । सिद्धाणि | अ पत्तेयं दसणणाणाणि समयम्मि ॥१७१॥ कह वा जिणेण भणि दोण्णि अहं णाणदंसणवाए । सोमिलपुच्छाए जइ दंसणणाणा
णमेगत्तं ॥ १७२ ॥ आह--जैतोच्चिय जीवाणं अणाई ( नण्णाई ) तेण तेसिमेगत्तं । भण्णइ तो सेसाणवि णाणाणं पत्तमेग |॥ १७३ ।। ताइंपि जीवभावाणण्णाई जे य सेसया भावा । अण्णोऽण्णलिंगभिण्णा खओवसमियादओ पंच ॥१७४ ॥ सइ जीवाणण्णत्ते णाणत्तं तव मयं अहो तेसिं । ण मयं केवलदसणणाणाणं एवमिच्छ। ते ॥१७५॥ जह जीवाणनाणं णाणतं सेसभावभेयाणं । तह जीवाणऽण्णाणं णाणत्तं केवलाणंपि ॥ १७६ ॥ अह भणियं च जिणमए जाणइ पासइ अ केवलण्णाणी । णवि सणत्ति तम्हा | णाणं चिय दंसणं तस्स ॥ १७७ ॥ भण्णइ जहोहिणाणी जाणइ पासइ य भासियं सुत्ते। ण यणाम ओहिदसणणाणेगत्तं तह इमंपि ॥ १७८ ॥ जं पासइत्थ भणियं तम्हा तं दंसणेण घेत्तव्वं । जेणे विसेसियमेअं पण्णवणदसाइसुत्तेसु ॥ १७९ ॥ खीणे पंचविह-18|॥१५॥
१ तो. २ आह जओ जीवाणं णाइ. ३ दंसणित्ति. ४ जाण,