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________________ बवबार सिद्धे चैत्ये श्रुते भक्तिस्तथा पंचगुरुस्तुतिः। . शान्तिभक्तिस्तथा कार्या चतुर्दश्यामिति किया । अर्थात्-क्रमसे सिद्धमक्ति चैत्यभक्ति श्रुतमक्ति पंचगुरुभक्ति और शांतिमक्ति करके चतुर्दशीको क्रिया करनी चाहिये। यदि कदाचित् किसी धर्मकार्यके वश चतुर्दशीकी उपयुक्त क्रिया करनेमें विच्छेद उपस्थित हो जाय तो उपके बदले में क्या करना चाहिये सो बताते हैं: चतुर्दशीक्रिया धर्मव्यासङ्गादिवशान्न चेत् । कर्तु पार्येत पक्षान्ते तर्हि कार्याष्टमीक्रिया ॥ १६ ॥ क्षपण-नियापण-समाधि मरण सरीखा कोई ऐसा धर्म कार्य आकर उपस्थित हो जाय कि जिसमें लगे रहनेसे मुमुक्षु साधु उस दिनकी-चतुर्दशीकी क्रिया न कर सके तो ऐसे समय में उसको दूसरे दिन-अमावस्या या पूर्णमासीको अष्टमी क्रिया करनी चाहिये । सिद्धमक्ति श्रुतभक्ति चारित्रमक्ति और शांतिभक्तिके करनेसे अष्टमी क्रिया हुआ करती है, ऐसा आगेके सूत्र में बतावेंगे। इसी विषयमें चारित्रसारमें कहा है कि ___ "चतुर्दशीदिने धर्मव्यामङ्गादिना क्रिया कर्तुं न लभ्येत चेत् पाक्षिकेष्टम्यां क्रिया कर्तव्या।" धर्मकार्यके कारण चतुर्दशीके दिनकी क्रिया करनेमें यदि व्यासन-व्यवधान आदि उपस्थित हो जाय तो। पक्षान्त-अमावस्या अथवा पूर्णमासीको अष्टमीकी क्रिया करनी चाहिये । तथा क्रियाकाण्डमें भी ऐसा ही कहा है। जदि पुण धम्मव्वासंगाण कया होज चउद्दसी किरिया। तो पुणिमाइदिवसे कायव्वा पक्खिया किरिया ॥ अध्याय
SR No.600388
Book TitleAnagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pt Khoobchand Pt
PublisherNatharang Gandhi
Publication Year
Total Pages950
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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