________________
शस्त्रोंके द्वारा इन्द्रियरूपी चोरोंके प्रसारका निराकरण कर और अन्तरङ्ग तपरूपी पालकीमें बैठकर मोक्षस्थान अथवा उसके अभावमें स्वर्गको प्राप्त करना चाहिये । भावार्थ-ऐसा करनेपर ही उनको स्वर्गमोक्षादिकी प्राप्ति हो सकती है।
इस प्रकार रत्नत्रय मार्गमें महान् उद्योग करनेका जिसमें वर्णन किया गया है ऐसा छहा अध्याय
समाप्त हुआ।
HTRA
अध्याय