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मो.मा.
। विना थापापरका श्रद्धान न होय, तब पर्याय बुद्धिते संसारीक प्रयोजनही का उपाय करै ।। प्रकाश
परद्रव्यविषे रागद्वेषरूप होय प्रवर्ते, तब मोक्षमार्गविषे कैसें प्रवत्र्ते । ताते इन दोय जातीनिका श्रद्धान न भए मोक्ष न होय । ऐसें ए दोय तो सामान्य तत्व अवश्य श्रद्धान करने योग्य | कहे । बहुरि आस्रवादिक पांच कहे, ते जीव पुद्गलके पर्याय हैं । तातै ए विशेषरूप तत्व हैं। सो इन पांच पर्यायनिकौं जानें मोक्षका उपाय करनेका श्रद्धान होय । तहां मोक्षको पहिचान, ।। तो ताको हित मानि ताका उपाय करै । तातै मोक्षका श्रद्धान करना । बहुरि मोक्षका उपाय | संवर निर्जराहै । सोइनको पहिचान तो जैसे संवरनिर्जरा होय,तेसै प्रवीतात संवर निर्जराका | श्रद्धान करना । बहुरि संबर मिर्जरा तो अभाव लक्षण लिए है, सो जिनका अभाव किया
चाहिए, तिनको पहचानना चाहिए । जैसे क्रोधका अभाव भए क्षमा होय । सो क्रोधों पह|चाने, तो ताका अभाव करि क्षमा रूप प्रवत्त । तैसे ही आस्रवका अभाव भए संवर होय अर बंधका एकदेश अभाव भए निर्जरा होय । सो आस्रव बंधकौं पहिचान, सौ तिनिका । नाशकरि संघर निर्जरारूप प्रवत् । ताते आस्रव बंधका श्रद्धान करना । ऐसें इनि पांच पी-| यनिका श्रद्धान भए ही मोक्षमार्ग होय । इनिकों न पहचाने, तौ मोक्षकी पहचान विना ताका उपाय काहेकौं करै । संकर निर्जराकी पहचान विना तिनिविष कैसे प्रवत्त । आस्रव बंधका पहचान विना तिनिकरि नाश कैसे करै । ऐसें इन पांच पर्यायनिका श्रद्धान न भए मोक्ष न ४८७
ఈ నిరంతరం నందు రాం రాం రాం రాం
అనంతపురం నుంచి అందంవలన నిండా
రాం నరాని నిందింపులు