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________________ मो.मा. प्रकाश 9 tarakooksforcarriolata s వివరాలు ఇలాంటి వాతం 2010 ote kadheen- उपदेश दीजिए है । पर कह मोक्षमार्गविष न प्रवर्ते, तो किंचित् विशुद्धता पाय पीछे तीन उदय पाएं निगोदादि पर्यायको पावै । तातै अवसर चूकना योग्य नाहीं । अब सर्व प्रकार अवसर आया है, ऐसा अवसर पावना कठिन है। तातै श्रीगुरु दयाल होय मोक्षमार्गको | उपदेरों, तिसविषै भव्य जीवनिकों प्रवृत्ति करनी । अब मोक्षमार्गका स्वरूप कहिए हैं जिनके निमित्तते आत्मा अशुद्ध दशाकों धारि दुखी भया, ऐसे जो मोहादिक कर्म तिनिका सर्वथा नाश होते केवल आत्माकी जो सर्व प्रकार शुद्ध अवस्थाका होना, सो मोक्ष। है । ताका जो उपाय-कारण, सो मोक्षमार्ग जानना। सो कारण तो अनेक प्रकार हो हैं। | कोई कारण तो ऐसे हो हैं, जाके भएं विना तो कार्य न होय, अर जाके भएं कार्य होय वा न भी होय । जैसें नुनि लिंग धारे विना तो मोक्ष न होय, परंतु मुनिलिंग धारे मोक्ष होय | भी, अर नाहीं भी होय । बहुरि कई कारण ऐसे हैं, जो मुख्यपने तो जाके भएं कार्य होय, अर काहूके विना भएं भी कार्य सिद्ध होय । जैसे अनशनादि बाह्य तपका साधन किए | मुख्यपनै मोक्ष पाइए है, परंतु भरतादिकके बाह्य तप किए बिना ही मोक्ष की प्राप्ति भई । बहुरि कैई कारण ऐसे हैं; जाके भए कार्य सिद्ध होय ही होय, और जाके न भए कार्य सिद्धि सर्वथा न होय । जैसें सम्यग्दर्शत ज्ञान चारित्रकी एकता भए तौ मोक्ष होय ही |||१८१ 2040200406500661000000000000006ookiefoaminople నించి మంచం విని 1900
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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