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.मा. काश
| व्यवहारविर्षे तौ इंद्रियनिकरि जाननेका नाम प्रत्यन है, प्रमाणभेदन्निविषै स्पष्ट ब्यवहार प्रतिभासकानाम प्रत्यक्ष है, आत्मानुभवनादिविष आपविषै अवस्था होय,, ताका नाम प्रत्यक्ष है। बहुरि जैसे मिथ्यादृष्टीकै अज्ञान कह्या, तहां सर्वथा ज्ञानका अभाव न जानना, सम्यग्ज्ञानके अभावते अज्ञान कह्या । बहुरि जैसे उदीरणा शब्द का अर्थ जहां देवादिककै उदीरणा न कही, | तहां तौ अन्य निमित्तत्तें मरण होय, ताका नाम उदीरणा है । अर दश करणनिका कथनविर्षे । उदीरणा करण देवायुकै भी कह्या। तहां तो ऊपरिके निषेकनिका द्रव्य उदयावलीविर्षे दीजिए, | ताका नाम उदीरणा है। ऐसे ही अन्यत्र यथासंभव अर्थ जानना। बहुरि एक ही शब्द का पूर्व | । शब्द जोड़ें अनेक प्रकार अर्थ हो है । ॥ उस ही शब्दके अनेक अर्थ हैं । तहां जैसा
संभवे, तैसा अर्थ जानना । जैसें जीते' ताका नाम 'जिन" है । परंतु धर्मपद्धतिविषे कर्म| शत्रुको जीते, ताका नाम 'जिन' जानना। यहां कर्मशत्रु शब्द की पूर्व जोड़ें जो अर्थ होय, | सो ग्रहण किया अन्य न किया। बहुरि जैसे 'प्राण धारें' ताका नाम 'जीव' है। जहां । जीवन मरणका व्यवहार अपेक्षा कथन होय, तहां तो इन्द्रियादि प्राण धारे, सो जीव हैं। बहुरि द्रव्यादिकका निश्चय अपेक्षा निरूपण होय, तहां चैतन्यप्राणको धारै, सो जीव है ।। बहुरि जैसे समय शब्द के अनेक अर्थ हैं । तझं मात्माका नाम समय है, सर्व पदार्थनिका नाम समय है, कालका नाम समय है, समयमात्र कालका नाम समय है, शास्त्रका नाम
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