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मो.मा. प्रकाश
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त्त्वज्ञान भया होय, पीछे इस प्रथमानुयोगकों वां, सुमें, तो तिनों यह तिनका उदाहरणरूप भासै है । जैसे जीव अनादिनिधन है, शरीरादिक संयोगी पदार्थ हैं, ऐसें यह जाने था। बहुरि पुराणविषै जीवनिके भवांतर निरूपण किए, ते तिस जाननेके उदाहरण भए। बहुरि शुभ अशुभ शुद्धोपयोगकों जानै था, वा तिनके फलकौं आनें था। बहुरि पुराणनिविषै तिन उपयोगनिकी प्रवृत्ति अर तिनका फल जीवनिकै भया, सो निरूपण किया। लो ही तिस जाननेका उदाहरण भया । ऐसें ही अन्य जानना । यहां उदाहरणका अर्थ यह जो जैसे जाने । था, तैसें ही कोई जीवकै अवस्था भई, तातै तिस जाननेकी साखि भई । बहुरि जैसे कोई सुभट है, सो सुभटनिकी प्रशंसा अर कायरनिकी निंदा जाविषै होय, ऐसी कोई पुराण पुरुषनिकी कथासुननेकरि सुभटपनाविषै अति उत्साहवान् हो है, तैसै धर्मात्मा है, सो धर्मीनिकी प्रशंसा अर पापीनिकी निंदा जाविषै होय, ऐसे कोई पुराण पुरुषनिकी कथा सुनभेकरि अतिउसाहवान् हो है । ऐसें यह प्रथमानुयोगका प्रयोजन जानना। ... बहुरि करणानुयोगविषै जीवनिकी वा कर्मनिकी विशेषता वा त्रिलोकादिककी रचना निरूपणकरि जीवनिकौं धर्मविषै लगाए हैं । जे जीव धर्मविषै उपयोग लगाया चाहैं, ते जीवनिका गुणस्थान मार्गणाआदि विशेष अर कर्मनिका कारण अवस्था फल कौन कौनकै कैसे कैसे पाइये, इत्यादि विशेष अर त्रिलोकविर्षे नरक स्वर्गादिकके ठिकाने पहचानि पापतै विमुख होय धर्म-111४०
माजगायकmonasamaALNERABADRMANAS Pato00000000000000000ooki.dfool/000000000000000000000000000000000000४
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