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________________ उपजावे है, अर कहै ईश्वर हमारा भला करेगा। तो तहां अन्याय ठहरथा। काहूकौं पापका प्रकाश फल दे, काहूको न दे, ऐसा तो है नाहीं। जैसा अपना परिणाम करेगा, तैसा ही फल पावैगा । काहूका बुरा भला करनेवाला ईश्वर है नाहीं। बहुरि तिन देवनिका सेवन करते तिन देवनिका तो नाम करें, अर अन्य जीवनिकी हिंसा करें, वा भोजन नृत्यादिककरि अपनी इंद्रियनिका विषय पोषे, सो पापपरिणामनिकां फल तौलागे विना रहनेका नाहीं । हिंसा विषय कषायनिकौं सर्व पाप कहै हैं । अर पापका फल भी खोटा ही सर्व माने हैं । बहुरि कुदेवनका सेवनविणे हिंसा विषयादिकहीका अधिकार है । ताते कुदेवनके सेवन” परलोकविषै भला न हो है । बहुरि घने जीव इस पर्यायसम्बन्धी शत्रुनाशादिक वा रोगादि मिटावना धनादिककी प्राप्ति वा पुत्रादिककी प्राप्ति इत्यादि दुःख मेटनेका वा सुख पावनेका अनेक प्रयोजन लिए । कुदेवनिका सेवन करै हैं । बहुरि हनुमानादिकौं पूजे हैं। बहुरि देवीनिकों पूजे हैं। बहुरि । गणगौर सांझी आदि वनाय पूजे हैं। चौथि शीतला दिहाड़ी आदिौं पूजे हैं। बहुरि अऊत पितर व्यंतरादिकौं पूजे हैं। बहुरि सूर्य चंद्रमा शनैश्चरादि ज्योतिषीनिकों पूजे हैं। बहुरि । पीर पैगंबरादिकनिकों पूजे हैं । बहुरि गऊ घोटकादि तिर्यंचनिकों पूजे हैं। अग्नि जलादिकको । पूजे हैं। शास्त्रादिकों पूजे हैं। बहुत कहा कहिए, रोड़ी इत्यादिककों भी पूजे हैं। सो ऐसे || । कुदेवनिका सेवन मिथ्यादृष्टिते हो है। काहेत, प्रथम तो जाका सेवन करें, सो केई तो ee GeoGo Soobao ve vs Sevilvo •es - Geseok • Soo • • • • • • 43800-GOOKSoamacadoopcookGOOpeogoo45000186000000000000000000000000000x0 %D -
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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