________________
-•
-
मो.मा. प्रकाश
-eeeeeeeeeee-
SEveScowo XookGoogo Cook • cesGook oeccookGoo
तो ठाकुरका लेना अर इंद्रियविषय अपने पोषने । सो विषयासक्त जीवनिकरि ऐसा उपाय | | किया है । बहुरि जन्म विवाहादिककी वा सोवना जागना इत्यादिककी कल्पना तहां करें हैं।
सो जैसे लड़की गुड्डा गुड्डीका ख्याल बनायकरि कुतूहल करें तैसें यह भी कुतूहल करना है। | किछू परमार्थरूप गुण है नाहीं । बहुरि बालक ठाकुरका खांग बनाय चेष्टा दिखावें। ताकरि
अपने विषय पोर्षे भर कहें यह भी भक्ति है । इत्यादि कहा कहिए, ऐसी-ऐसी अनेक विपरी| तता सगुण भक्तिविर्षे पाईए है । ऐसें दोय प्रकार भक्तिकरि मोक्षमार्ग कहै हैं सो ताका | स्वरूप मिथ्या जानना । अव अन्यमतके ज्ञानयोगकरि मोक्षमार्गका स्वरूप दिखाइए है,--1|
एक अद्वैत सर्वव्यापी परब्रह्मकों जानना ताकौं ज्ञान कहे हैं सो ताका मिथ्यापना तो पूर्व | कह्या ही है । बहुरि भापकों सर्वथा शुद्ध ब्रह्मस्वरूप मानना, काम क्रोधादिक वाशरीरादिकको
भ्रम जानना ताकौं ज्ञान कहै हैं सो यह भ्रम है । जो आप शुद्ध है तो मोक्षका उपाय काहेकों | करै है । आप शुद्धब्रह्म ठहरथा, तब कर्तव्य कहा रह्या । बहुरि प्रत्यक्ष भोपकै काम क्रोधादिक | होते देखिए भर शरीरादिकका।संयोग देखिए है सो इनिका अभाव होगा तब होगा, वर्तमानविषे इनिका सद्भाव मानना भ्रम कैसे भया। बहुरि कहे हैं, मोक्षका उपाय करना भी भ्रम है। जैसें जेवरी तो जेवरी ही है ताकौं सर्प जाने था सो भ्रम था-भ्रम मिटे जेवरी ही है । तैसें भाप | तो ब्रह्म ही है आपकौं अशुद्ध माने था सो भ्रम था, भ्रम मिटे भाप ब्रह्म ही है । सो ऐसा
-C-HEGAOps090POOGooooooooooooooo190000000000000000000000jooraajoobabloops
१७८