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________________ मो.मा. प्रकार विषयसामग्री भेली करें तहां नाम तो ठाकुरका करें भर भाप भोगवे, भोजनादि बनावें प्रकाश बहुरि ठाकुरकों भोग लगाया कहें पीछे आपही प्रसादकी कल्पनाकरि ताका भक्षणादि करें। । सो यहां पूछिए है, प्रथम तो ठाकुरके क्षुधा-तृषादिककी पीड़ा होयगी। जो न होय तो ऐसी || | कल्पना कैसे संभवै । भर चुपादिकरि पीड़ित होय सो व्याकुल होय तब ईश्वर दुखी भया, | और का दुःख दूरि कैसे करे । बहुरि भोजनादि सामग्री भाप तो उनकै अर्थि अर्पण करी सो || | करी पीछे प्रसाद तो ठाकुर देवे, तब होय भापहीका तो किया न होय । जैसे कोऊ राजाकी भेट करे पीछे राजा बकसे तो वाकौं प्रहण करना योग्य, भर राजा तो किछु कहे नाही, भाप। ही 'राजा मोकं बकसी', ऐसें कहि वाकों अंगीकार करें तो यह ख्याल ( खेल ) भया। तैसें ॥ । यहां भी ऐसे किए भक्ति तो भई नाहीं हास्यकरना भया । बहुरि ठाकुर भर तू दोय हो कि एक हो। दोय हो तो ते. भेट करी पीछे ठाकुर बकसे सो ग्रहण कीजै। प्रापही काहेकौं | ग्रहण करे है । भर तू कहेगा ठाकुरकी तो मूर्ति है ताते में ही कल्पना करूंहूं तो ठाकुरके | करनेका कार्य ते. ही किया तब तू ही ठाकुर भया । बहुरि जो एक हो, तो भेट करनी प्रसाद करना झूठा भया। एक भए यह व्यवहार संभवै नाहीं, तातें भोजनासक्त पुरुषनिकरि ऐसी कल्पना करिए है । बहुरि ठाकुरकै अर्थि नृत्य गीतादि करावना, शीत ग्रीष्म वसंत भादि ऋतुनिविषै संसारिक संभवती ऐसी विपयसामग्री भेली करनी इत्यादि कार्य करें। तहां नाम Sinutaaorade-290000000000000000000000000000000000000000000000000000000 organaf0100000000000000olpfotasanlonds00000000000000000019OMEQualcondar
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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