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मो.मा. प्रकाश
। हो हैं । सो इनिकै राजसादिक पाइए है ऐसे कहो। उनिकों पूज्य कहना परमेश्वर कहना तो ।।
बने नाहीं । जैसे अन्य संसारी हैं तैसें ए भी हैं। बहुरि कदाचित् तू कहेगा संसारी तो माया के आधीन हैं सो विना जाने तिन कार्यनिकौं करें हैं । ब्रह्मादिककै माया आधीन है सो ए | जानकर इनि कार्यनिकों करे हैं। सो यह भी भ्रम है। जानै मायाके आधीन भए तौ काम | क्रोधादि निपजै हैं और कहा हो है। सो इन ब्रह्मादिकनिकै तो कामक्रोधादिककी तीव्रता पाइए है । कामकी तीव्रताकरि स्त्रीनिके वशीभूत भए नृत्य गानादि करते भए, विह्वल होते भए, नानाप्रकार कुचेष्टा करते भए, बहुरि क्रोधके वशीभूत भए अनेक युद्धादि कार्य करते । भए, मानके वशीभूत भए आपकी उच्चता प्रगट करनेके अर्थि अनेक उपाय करते भए, मायाके |
वशीभूत भए 'अनेक छल करते भए, लोभके वशीभूत भए परिग्रहका संग करते भए इत्यादि || ।। बहुत कहा कहिए । ऐसें वशीभूत भए चीरहरणदि निर्लज्जनिकी क्रिया और दधि लूटनादि |
चोरनिकी क्रिया अर रुंडमाला धारणादि बाउलेनिकी क्रिया, बहुरूपधारणादि भूतनिकी क्रिया, गौचरावणादि नीच कुलवालोंकी क्रिया इत्यादि जे निन्यक्रिया तिनिकों तौ करत भए, याते।। अधिक मायाके वशीभूत भए कहा क्रिया हो है सो जानि न परी । जैसें कोऊ मेघ पटलसहित अमावस्याकी रातकों अंधकार रहित माने तैसें बाह्य कुचेष्टासहित तीव्र काम क्रोधादिकनिके धारी ब्रह्मादिकनिकों माया रहित मानना है।
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