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________________ वारणतरण ॥ ४४ ॥ लोक—– सम्यकूदर्शन शुद्धं ज्ञानं आचरणसंयुक्तं । सार्द्धं त्रिति संपूर्ण, कुज्ञानं त्रिविधि मुक्तयं ॥ ३६ ॥ 1 अन्वयार्थ — ( सम्यग्दर्शन शुद्धं ) शुद्ध सम्यग्दर्शन (संयुक्त) सहित (ज्ञानं ) ज्ञान सम्यग्ज्ञान उसीके (साई) साथ (आचरण) चारित्र सम्यग्वारित्र है (त्रिति संपूर्ण ) तीनोंकी पूर्णता या एकता ही मोक्षमार्ग है (त्रिविधि ) तीन प्रकार (कुज्ञानं ) कुज्ञान अर्थात् संशय विमोह विभ्रम (मुक्तथं ) रहित है । विशेषार्थ – जब सम्यक्दर्शन सहित सम्यग्ज्ञान होजाता है तब न तो कोई संशयका कुज्ञान है न विपरीतपनेका है और न विभ्रम या अनध्यवसाय या ज्ञानमें आलस्यका कुज्ञान है। इन तीन ज्ञानके दोषों से रहित सम्यग्ज्ञान यथार्थ ज्ञान है। शुद्ध सम्यग्दर्शन सहित चारित्र ही सम्यग्वारित्र है । विना आत्मश्रद्धा प्राप्त हुए अनेक शास्त्रोंका ज्ञान रखते हुए भी मिथ्याज्ञान कहलाता है। इसी तरह आत्मानुभवके विना सर्व ही मुनि व श्रावकका व्यवहार चारित्र है, वह मिथ्या चारित्र कहलाता है। मोक्षमार्ग रत्नत्रय स्वरूप है। जहां सम्यग्ज्ञान सम्यग्दर्शन व सम्यक् चारित्रकी एकता प्राप्त होजाती है यही अभेद या निर्विकल्प अनुभव ही वास्तव में मोक्षमार्ग है । सम्यक्ककी प्राप्तिके समय सम्यग्ज्ञान व स्वरूपाचरण चारित्र भी होता ही है । फिर आगे आत्मानुभव के प्रतापसे चारित्र बढते २ यथाख्यात चारित्र होजाता है । तथा ज्ञान बढते २ केवलज्ञान होजाता है । सम्यक्त विना सब शून्य ही है । श्लोक-सभ्यक्तं संयमं दृष्टं, सम्यकतप सार्द्धयं । परिण प्रमाणं शुद्धं, अशुद्धं सर्व तिक्तयं ॥ ३७ ॥ अन्वयार्थ – ( सम्यक्तं संयमं ) सम्यकूदर्शन सहित संयम सम्यग्संयम ( दृष्टं ) देखा गया है। (सार्द्धंयं) उसी के साथ तप ( सम्यग्तप ) सम्यक्तप है । तब ही ( सर्व अशुद्धं ) सर्व अशुद्ध ज्ञानको (विक्तयं ) छोडकर (शुद्धं प्रमाण ) शुद्ध प्रमाणरूप ज्ञान (परिणे) परिणमन करता है । विशेषार्थ - संघम सम्यक्तकी उपस्थिति में ही सम्यक्संयम नाम पाता है। यदि सम्यग्दर्शन न हो और संयम नियम व्रत प्रतिज्ञा कितनी भी की जावे सब मिथ्या संयम नाम पाता है । ✈✈пл✈✈ श्रावकाचार ॥ ४५ ॥
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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