________________
भूल सुधार । इस ग्रन्थ में निम्नलिखित मानोंमें निम्नलिखित पंक्तियां छूर गई हैं। पाठक महाशयोको चाहिए कि, स्वाध्याय करने के पहिले इन पंक्तियों को अपनी प्रवियोंमें यथास्थान.बढ़ा लेवेंपृष्ठ. पंक्ति. जिसके मागेछूटा है, वहवाक्य..
छूटे हुए वाक्य. २. १ चितवना कीजिए है- जासे स्वरूप जाने बिना ग्रह जाण्या नहीं जाय जो मैं कौनकी नम
सकार करू तब उत्तम फल की प्राप्ति कैसे होय। । २ जिनके दर्शनादिकतै- स्वपरभेद विज्ञान हो है, कयायमंद होय शान्त भाव हो है। १५ . १३ थोरे अंगनिके पाठी रहे- तिनने यह जानकरि जो भविष्यत कालमैं हम सारिखेभी शानी न
रहेंगे, तातै गन्धरचना शारंभ करी भरद्वादशांगानुकूल प्रथमानुयो।
ग, करणामुयोग, चरणामुयोग, द्रव्यानुयोगके अनेक गून्थ रचे । २३७ मोकौं धान नाही- किसी विशेष हानी सौ पूछकर मैं तिहारताई उत्तर दूंगा । अथवा
कोई समय पाय विशेष मानी तुमसौं मिलै, तौ पूछकर अपना संवेद दूर करना पर मोकी हवलय देना । जातें ऐसा न होय तो अभिः मानके वशतें अपनी पंडिताई जनावनेकौं प्रकरण विरुद्ध अर्थ उपदेशै । तातै श्रोतानिका विरुद्ध श्रद्धान करमेत घुराहोय जैनधर्म
की निंदा होय । मैं कौन हौं
पर कहांत पाकर वहां जन्मे धारया है और मरकरि कहां जाऊंगा। परमाणु भिन्न हो हैं- भर केई मये मिले हैं। आपही मिले हैं- '
अर सूर्यास्तका निमित्त पाय बापही बिछरै है। मनरूप परमाणनि- के परिणमनिकै पर मतिशानकै निमिस नैमित्तिक सम्बन्ध है. सो
तिनकै