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४४३८॥
वर्णी न्यायाचार्य हैं, नाम .. गणेशमसाद ।
दयाचन्द पंडित प्रवर, देत ज्ञान अप्रमाद ॥११॥ मोलापूरव तीनसो, परवारोंके साठ।
जाति समैया तीस घर, गोलालारे आठ ॥१२॥ पन्द्रह विनैकवालके, जैन दिगम्बर धर्म।।
सेवत शक्ति प्रमाण जानत धर्म अधर्म ॥१६॥ सिंघई कुन्दनलालजी, रतनलाल सुवकील।
पण्डित मुन्नालालजी, हुकमचन्द बनवीर ॥१४॥ धर्मचन्द मोदी लसै, मुन्शी भयालास। ..
पूरणचन्द बजाज हैं, सिंघई झुन्नीलाल ॥१५॥ नाथूलाल विशाखिया, मूलचन्द सुखवान ।
नन्हेंलाल बजाज हैं, मोहनलाल सुजान ॥१७॥ हुकमचन्द हैं जौहरी, पण्डित हैं मूलचन्द ।
डालचन्द सिंर्घा खस, शिक्षक हैं मूलचन्द ॥१७॥ परोपकार व्रत धारते, हैं मथुराः परसाद ।
बालचन्द कोछल बसें, और गणेशप्रसाद ॥१८॥ भजनानन्दी आत्म-प्रिय, नाथूराम गृहस्थ। '
वृषधारीके संगमें, रहा सदा हो स्वस्थ ॥१९॥ भविजिन तारणतरण कृत, श्रावकाचार महान।
ताकी भाषा बचानका, लिखी धर्म कचि आन ॥२०॥ पढो विचारो जैनगण, शुर कथन सुखकार ।
जैन दिगम्बर धर्मधर, मुनिवर पच अनुसार ॥२१॥
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