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________________ व अलोकको देखनेवाले (वात्मानं) आत्माको (शुदात्मानं ) अर्थात गुडात्माको जो ध्यावे यही (महात्माँ महाव्रत) महान आत्मा साधुका महावत है। विशेषार्थ-बत नाम प्रतिज्ञाका है। साधुओंके यही दृढ प्रतिज्ञा है कि वे शुखात्माको ध्यावे। जो सर्वज्ञ वीतराग प्रभु हैं, उस रूप अपने आत्माको द्रव्य दृष्टिसे जानकर निज आत्माकी एकाग्र हो ध्यान करे। तीन लोक भरे हुए सर्व आत्माओंको शुद्ध नयके पलसे जो शुखात्मा देखें । सर्व जगतके जीवोंको एक आत्मामय देखें । परम समताभावमें लय होजावे यही परमसामायिक हैव * यही निश्चय महावत है। यदि यह महाब्रत न हुभा और मात्र बाहरी पांच महाव्रत पाले गए तो मोक्षका साधन नहीं हुआ। वास्तवमें शुद्धात्माके अनुभवको ही मोक्षका साधन कहते हैं यही साधुका चारित्र है। इसको जो साधे वही साधु है। श्लोक-धर्मध्यानं च संयुक्तं, प्रकाशनं धर्म शुद्धयं । जिन उक्तं यस्य सर्वज्ञ, वचनं तस्य प्रकाशनं ॥ ४५० ॥ अन्वयार्थ-(धर्मध्यानं च संयुक्तं) वे साधु धर्मध्यान सहित रहते हैं (शुद्धयं धर्म प्रकाशनं ) शुद्ध दोष रहित धर्मका प्रकाश करते हैं। ( सर्वज्ञं वचन) सर्वज्ञ भगवानका कथन (यस्य जिन उक्तं ) जिसको जिते. न्द्रिय साधुओंने कहा हो, गणधरोंने बताया हो (तस्य प्रकाशनं ) उसीका ही प्रकाश करते हैं। विशेषार्थ-जैनके साधु बडे विनयवान हैं, वे जिनेन्द्रकी आज्ञानुसार चलनेवाले होते हैं। आप में स्वयं चार प्रकार धर्मध्यान ध्याते हैं। -आज्ञा विचय-जिनेन्द्रकी आज्ञाके अनुसार छः द्रव्य पांच, अस्तिकाय, सात तत्व, नौ पदार्थका विचय करना । २-अपाय विचय-अपने रागादि दोषोंका व जगतके प्राणियोंके मिथ्यास्वादि दोषोंका किस तरह नाश हो यह विचारना। -विपाक विचय-अपनेमें व दूसरोंमें साता व असाताकारी अवस्थाओं को देखकर कौनसे कर्मका विपाक है या फल है ऐसा विचारना । ४संस्थान विचय-तीन लोकका स्वरूप, सिद्ध लोकका स्वरूप व अपने ही आत्माका ध्यान करना। पिंडस्थादि चार ध्यान इस संस्थानविचय धर्मध्यानमें गर्भित हैं। जैसे वे साधु स्वयं निर्दोष धर्मका साधन करते हैं वैसे ही वे जगतके प्राणियोंको प्रकाश करते हैं। जिन वचनोंपर उनका विश्वास है ॥३०॥
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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