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________________ वारणतरण काचार अभ्यास करे। तथा मेरा मरण समाधिभाषसेनिके साथ हो ऐसी भावना सो सल्लेखणा है। १२ व्रत व समाधिमरण हरएकके पांच पांच अतीचर हैं। अहिंसा अणुबतके-१ कषायवश होके मानव वा पशुको बंधन में डाल देना सोबंध है,२कषायके वश हो, लाठी चाबुकसे मारना सो वध है,-कषायके वश हो किसीके अंग व अपंग छेद बालना स छेद है, ४-पशु, मानव आदिपर मर्यादा रहित अधिक बोझा त्याग देना सो भी अतिभारारोपा है, ५-अपने आधीन मानव व पशुओंके अन्नपानको रोक देना अन्नपान निरोध है। मत्य अणुव्रनके • अतीचार१-दूका मिश्या उपदेश देना सो मिथ्योपदेश है। २-त्रं षके एकांतकी बात कहना सो रहोभ्याख्यान है। ३-झूहालेख कागज हिंम्पादि लिखाना सो कूटलेख किया है। ४-किमाके अमानत असत्य बोलकर लेना, उसके भूलेसे कम मांगनेपर इतना ही तेरेकी है, ऐसा कहकर देना, हिसाव ठीक न बताना सोन्यासापहार है। ५-किमीकी सलाहको अंगके आकारसे जान कह देना साकार मंत्रभेद है। -अचौर्य अणुव्रतके ५ अतीचार१-चोरीका उपाय बताना-चोर प्रयोग है। २-चोरीका लाया हुआ माल लेना-तदानादान है। -विरुद्ध जय हानपर-राज्य प्रबन्ध ठीक न होनेपर मर्यादा उल्लंघन करके लेनदेन करना, र नीतिसे न चलना विरुद्ध राज्यातिकम है। ४-कमती तौलनाप करके देना-अधिक तौल नाप करके लेना हीनाधिक मानोन्मान है। ५-झूठा मिका चलाना व खरीमें खोटी वस्तु मिलाकर खरी कहकर विक्रय करना, प्रतिरू* पक व्यवहार है। ब्रह्मचर्य अणुवनके ५ प्रतीचार१-अपन सम्बन्धी सन्तानोंके सिवाय अन्यकी सन्तानोंकी सगाई दंढना-पराविवाहकरण।
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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