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________________ ॥१२॥ ८-कर्म प्रवाद पूर्व-काके बंधादिका कथन है। ९-प्रत्याख्यान पूर्व-त्यागका विधान कथित है। १०-विद्यानुवाद पूर्व-७.. भल्पषिया, ५..महाविद्या साधने मंत्र यंत्र व आठ निमित्त ज्ञानका कथन है। ११-कल्याणवाद पूर्व-महापुरुषों के कल्याणकोका कथन है। १२-प्राणवाद पूर्व-वैद्यकका कथन है। १३-क्रिया विशाल पूर्व-संगीत, छन्द, अलंकार ७२ पुरुषकी १४ स्नीकला भादिका कथन है। १४-त्रिलोक बिंदुसार-तीन लोकका स्वरूप बीज गणितादिका कथन है। चूलिका पांच प्रकार हैं-जलगता, स्थलगता, मायागता, रूपगता, आकाशगता। इसमें जल, थल, आकाशमें चलनेके रूप बदलनेके मंत्रादि । इन बारह अंगोंके अपुनरुक अक्षर १८४४१७४४०७१७०९५५१५१५ अर्थात्म आ आदि १४ अक्षरोंके सबभेद उतने होते। पदि दो के अंकको दफे वर्ग करे और एक घटादें तो इतने अक्षर आएंगे। जैसे २४१-४, vxv=१६, १६४ १६ = २५१, २५१४२५६ - १५५० इसी तरह करनेसे निकलेंगे। एक मध्यम पदमें १९७४८५.७८८८ अपुनरुक्त अक्षर होते हैं तब कुल अक्षरोंके ११२०३६८००५ पद निकलेंगे शेष ८.१०८१७५ भक्षर पड़ेंगे। बारह अंगों में इतने पद नीचे प्रकार बांट दिये गए - १-आचारांग १८... २-सूत्रकृतांग ३-स्थानांग ४२०.. -समवायांग ५-व्याख्या प्रति १२८०.. -ज्ञात कथा -उपासकाध्ययन ११७०००० ८-अंतकृतदश २५२८००० ९-अनुत्तरोपपादिक ९९४४.०० १०-प्रभ व्याकरण ११-विपाकसून १८४०००.. १२-रष्टिनवार १००६८५६००६ कुल पद १२८००हुए
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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