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________________ मिथ्यात्वका संग न दिखना चाहिये (मिथ्या माया कुटुबस्य संगं) मिथ्यात्व व मायामें फंसे हुए कुटुंबका धरणवरण श्रावकाचार संग (बुधैः सदा विरचे) बुद्धिमान सदा ही बचावे । ॥२९॥ विशेषार्थ-यहांपर भी मिथ्यात्वकी संगतिका निषेव किया है। ग्रंथकर्ताका अभिपाय यही है कि गृहस्थजन शुद्ध सम्यकमें परिपक्क रहें। क्योंकि सम्यग्दर्शन ही मोक्षमार्गकी प्रथम सीढी है। इसके विना बत, जप, तप सब असार है । आत्मानुशासनमें कहा है शमबोषवृत्ततपसां पाषाणस्येव गौरवं पुंसः । पूज्यं महामगेरिव तदेव सम्यक संयुक्तम् ॥१५॥ भावार्थ-मभाव, ज्ञान, चारित्र, तपका मूल्य सम्यग्दर्शनके विना पाषाण खण्डके समान है परन्तु यदि वे सम्यग्दर्शनके समान हो तो उनका मूल्य व आदर महामणिके समान होता है। इसीलिये मिथ्यात्वसे भले प्रकारसे बचनेका उपदेश है। ज्ञानी गृहस्थको उचित है कि सदा ही सम्यग्दर्शनकी दृढताके कारक आयतनोंकी संगति रखे। जिनचैत्यालय, जिनशास्त्र, जैन गुरू, जैन धर्मात्मा ज्ञानी पुरुष, जिनेन्द्र भक्ति, सद्गरुको दान, सद्गरु द्वारा उपदेश श्रवण आदि निमित्तोंको मिलाता रहे, इनके विरुद्ध निमित्तोंकी संगति न करे, उनसे माध्यस्थ भाव रक्खे, लौकिक व्यवहार न बिगड़े उतना मात्र सहयोग देवे परन्तु अपनी अडामें किसी तरह मलीनता भाजावे ऐसा सहॐ योग न करे। जो गृहस्थ कुटुम्बी मिथ्यात्वके पोषक हैं व जो मायाचारके पोषक हैं, ठग, अन्यायी हैं उनकी संगतिसे बचना ही उचित है। जिसतरह बने सम्यग्दर्शनकी रक्षा करे यह अभिपाय है। ___ श्लोक-मिथ्यात्वं परमं दुःखं, सम्यक्तं परमं सुखं ।। तत्र मिथ्यामतं त्यक्तं, शुद्ध सम्यक सार्द्धयं ॥ २९६ ॥ अन्वयार्थ (मिथ्यात्वं परमं दुःखं ) मिथ्यादर्शन परम दुःखका कारण है (सम्यकं परमं सुखं ) सम्य- ५ ग्दर्शन परम सुखका कारण है (तत्र मिथ्यामतं त्यकं) इसीलिये मिथ्यादर्शनका त्याग करे (शुद्ध सम्यक साई) शुख सम्यग्दर्शनको अपना साथी बनाए रक्खे। विशेषार्य-संसारमें नरक, निगोद, एकेंद्रिय, विकलत्रय, पशु आदिके घोरसे घोर दुःखों में ४ पटकनेवाले कोका बंध मिथ्यादर्शनसे होता है इसलिये मिथ्यादर्शन ही परम दुखरूप हे अथवा ॥२९ ॥
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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