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________________ R४१॥ मिध्यावनी दिखलाई पडता है (कुज्ञानं मलश्चैव स्यक्त) कुज्ञान व सर्व मल भी छट जाते हैं (योग श्रावकाचार समाचरति) धर्मध्यानका आचरण होने लगता है। विशेषार्थ-जैसे जहां प्रकाशका उदय होता है वहां अन्धकार नहीं दिखलाई पडता है वैसे जहां आत्मामें सम्यग्दर्शन नामक गुणका प्रकाश हुआ वहां मिथ्यादर्शनकी छाया बिलकुल नहीं दिखलाई पडती है, क्योंकि अनन्तानुवन्धी चार कषाय व मिथ्यात्वके उपशमके बिना सम्यग्दर्शन होतादी नहीं है। पहले जो संसाराशक्ति थी सो मिट जाती है। शुखात्मस्वरूपकी प्रीति पैदा होजाती है। सम्यग्दर्शनके उत्पन्न होने के पहले जो मिथ्याज्ञान था सो सम्यग्दर्शनके होते ही सम्यग्ज्ञान होजाता है। कुमति कुश्रुत कुअवधि, सुमति सुश्रुत सुअवधि होजाते हैं। मिथ्यात्वके होते हुए जो पचीस मल होते थे वे सब मल भी दूर होजाते हैं। जब भावों में आत्माका तथा परमात्माका यथार्थ स्वरूप झलक जाता है तब शंका आदि दोष व कुदेव कुगुरु कुधर्मकी मान्यता किसतरह ठहर सक्ती है। तथा वह सम्यक्ती सर्व जगतकी आत्माओंको पहचाननेवाला होजाता है, इससे उसकी मैत्री सर्व प्राणीमात्रसे रहती है। दुखियोंको देखकर उनपर करुणा बुद्धि रखकर उनका दुःख निवारण करना चाहता है। धर्मका सच्चा पालक, नीतिका सच्चा नमूना बन जाता है। ऐसे ही सम्यग्दृष्टीके भीतर यथार्थ योगाभ्यास होता है वही यथार्थ धर्मध्यानके पलसे निज शुद्धात्माके तत्वको सर्वसे पृथक् अनुभव करता है। विना सम्यक्तके मिथ्यादृष्टीका सर्व योगाभ्यास आत्मानुभव करने में समर्थ नहीं है। ___ श्लोक-मलं विमुक्त मुढ़ादी, पंचविंशति न दृष्टते । आशा स्नेह लोभं च, गाख त्रिविधि भुक्तयं ।। २४०॥ अन्वयार्थ-(मूढादी मलं विमुक्त) तीन मूढ़ता आदि मलोंसे छूटे हुए सम्यक्तीके भीतर (पंचविंशति ॐ न दृष्टते) पचीस दोष नहीं दिखलाई पड़ते हैं। (आशा लेह लोमं च गारव त्रिविधि मुक्त) आशा, स्नेह, लोभ, तीन प्रकार अहंकार आदि कुभावोंसे मुक्त होजाता है। विशेषार्थ-सम्यक्तीके भीतर पहले कहे हुए मृढ़ता आदि पचीस दोष नहीं दिखलाई पड़ते हैं। शुद्ध सम्यग्दर्शनको जो पालनेवाला है उसके मात्र एक शुद्धात्मानुभवका ही उद्देश्य है। इसी Vyn
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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