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________________ तारणतरण करते हैं वे गुरु धर्म पात्र हैं। यह धर्म व्यवहार नयसे तीन रूप है, निश्चय नए से शुद्ध अभेद एकआपकी ॥१०॥ निज आत्माकी परिणति है। वह परिणति लोकालोकके छः द्रव्योंको परोक्ष रूपसे जानने वाली है। क्योंकि भूतज्ञान में सर्व पदार्थों का स्वरूप है । उस श्रुतको जाननेवाला साधुका आत्मा है। इसलिये ४ रत्नत्रय मई आत्मा ज्ञानसे भरपूर पूर्ण संतुष्ट है । इस शुद्ध आत्मीक भावको मोक्ष साधक जानके साधन करनेवाले साधु होते हैं यही गुरु हैं। प्रयोजन यह है कि श्रावक धर्मका लाभ करना चाहें Vउनको प्रथम ही सच्चे देव शास्त्र गुरुपर श्रद्धा लानी चाहिये । श्लोक-सु सम्यक्तं ध्रुवं दृष्टं, शुद्ध तत्त्व प्रकाशकं । ध्यानं च धर्म शुक्लं च, ज्ञानेन ज्ञानलंकृतं ॥९॥ आर्जरौद्र परित्याज्यं, मिथ्यात्त्रय न दृष्टते । शुद्ध धर्ममयं भृत्वा, गुरुं त्रैलोक्यवंदितं ॥१०॥ अन्वयार्थ—(शुद्ध तत्त्व प्रकाशकं ) शुद्ध आत्म तत्वको प्रगट करनेवाला (ध्रुवं) अविनाशी (सु सम्यक्त) निर्मल सम्यकदर्शन (च) और (ज्ञानेन) आत्मज्ञानके द्वारा (ज्ञानलंकृतं ) ज्ञानकी शोभा बढ़ानेवाला १(धर्म शुक्वं च ध्यानं ) धर्म तथा शुक्लध्यान (दृष्टं ) जिनके द्वारा अनुभव किया गया। (आर्त रौद्र परित्याज्यं) / आर्त तथा रौद्र ध्यान छोड़ दिया गया। (मिथ्यात्त्रय) तीन प्रकार मिथ्यादर्शन अर्थात मिथ्यात्व, सम्यक् मिथ्यात्व तथा सम्यकप्रकृति मिथ्यात्व (न दृष्टते) जिनमें नहीं दिखलाई पड़ता है। (शुद्ध धर्ममयं भूत्त्वा ) जो शुद्ध आत्मधर्म स्वरूपमयी होगये हैं (त्रैलोक्यवदित) ऐसे तीन लोकसे वंदना योग्य ४ (गुरु) गुरु होते हैं। म विशेषार्थ-यहां साधु महाराजकी विशेष महिमा बताई है। उनमें निश्चय सम्यग्दर्शन होता है जो शुद्ध आत्माके तत्वको सर्व परद्रव्योंसे भिन्न प्रकाशित करता है। सम्यक्तके विना बाहरी चारित्र पालनेपर भी साधुपना नहीं होसक्ता है। फिर वे धर्मध्यान तथा शुक्लध्यानका आराधन करते हैं, ये दोनों ध्यान मोक्षके साधक हैं। साधुओंके सात गुणस्थान होते हैं। छठे तथा सात गुणस्थानमें तो धर्मध्यान होता है। फिर आठवेंसे बारहवें तक शुक्लध्यान होता है। आत्मज्ञानमें थिर
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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