SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वारणतरण ॥२१ ॥ अन्वयार्थ (देव गुरुं धर्म शुद्ध च) जहां यथार्थ देव गुरु व शुद्ध धर्मकी अंडा हो व (शुद्ध तत्व सार्थ श्रावकाचार धुबं) शुद्ध यथार्थ अविनाशी आत्मतत्वकी श्रद्धा हो वही (सम्यग्दृष्टि शुद्धं च)शुद्ध सम्यग्दर्शन है। वास्तवमें (सम्यकं) सम्यग्दर्शनका अर्थ ही यह है कि जहां (सम्यक् दृष्टितं ) पदार्थको जैसाका नेता ॐ यथार्थ जाना जावे। विशेषार्थ-जैसा साध्य होता है वैसा साधन होता है। जब साध्य शुद्ध आत्माका लाभ है तब उसका साधन भी शुद्ध आस्माका लक्ष्य है। वास्तवमें शुद्धास्माका अनुभव ही मोक्षमार्ग है, यही सचा सम्यग्दर्शन है। शुद्धात्मानुभवके सहकारी चीतराग सर्वज्ञ अरांतदेव व सिद्ध भगवान है तथा शुद्ध रत्नत्रयमई निश्चय धर्म है तथा इस निश्चयधर्मका उपकारक आवश्यकीय व्यवहार धर्म है। शुद्ध तत्वका पहचाननेवाला शुद्ध तत्वके स्मरणके लिये ही देव गुरु धर्मकी भक्ति करता है। इस भक्तिमें भी शुद्ध स्वरूपपर लक्ष्य रखता है। शरीर सम्बन्धी क्रियापर ध्यान नहीं है। असल में भास्माका स्वभाव ही मोक्षमार्ग है। या उसी में रमणता मोक्षमार्ग है। देवसेनाचार्य तत्वसारमें कहते हैंसयल वियप्पे थके उन्वन्त्रह कोवि सासओ भावो । नो अपणो सहावो मोक्वस्स य कारगं सोहु ॥ ६१॥ भावार्थ-सर्व विकल्पोंके रुक जानेपर कोई अविनाशी भाव ऐसा झटक जाता है जिसको ४ आत्माका स्वभाव कहते हैं तथा यह मोक्षका कारण है। और भी कहा है जो अप्पा तं गाणं गाणं तं च दसणं चरणं । सा मुद्धचेयणावि य णिच्छयगंयमतिर नावे ॥५॥ भावार्थ-जो मारमा, है वही ज्ञान है, जो ज्ञान है वही सम्यग्दर्शन व सम्यक्चारित्र है, वही शुद्ध चेतना है। जो निश्चयनयका आश्रय करते हैं उनके लिये रत्नत्रय स्वरूप ॐ भास्मा ही है। श्लोक-सम्यक्तं यस्य शुद्धस्य, व्रतं तप संजमं सदा । अनेक गुण तिष्ठते, सभ्यक्तं साधं ध्रुवं ॥ २०७।। अन्वयार्थ ( यस्य शुद्धस्य सभ्य ) जिस शब भावना करनेवाले जीवके पास सम्यग्दर्शन है वह ४ ॥२१॥
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy