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________________ श्रावकाचा वारणतरण वैसा कुटिल व मायाचार जिसका दीर्घकाल तक छिग रहे उसके अनंतानुबन्धी माया है। जैसे किरमिचका रंग दीर्घकालमें न मिटे ऐसा दीर्घकाल तक न मिटनेवाला लोभ अनंतानुबंधी ॥१५९॥ है। इन कषायोंके कारण व मात तत्वोंकी यथार्थ श्रद्धा न होने के कारण व आत्मा व अनात्माका भेद न जाननेके कारण मिथ्याज्ञान व मिधा विश्वाप्समें रमता हा प्राणी प्रायः नरकगति व नरक आयुको पांधकर नरक जाकर बहत कष्टोंमें पड़ जाता है। ये चार कषाय व मिथ्यात्व ये पांचों अनादिकालसे जीवके वैरी होरहे हैं। इन होके वश अनेक पंच परावर्तन इस जीवने इस अनंत संसारमें किये हैं, विचारवानको इनके क्षयके लिये उद्यम करना योग्य है। ___ श्लोक-लोभं अनृत सद्भाव, उत्साहं अनृतं कृतं । तस्य लोभं न शमितं च, तं लोभ नरयं पतं ।। १५२ ॥ अन्वयार्थ (अनृत सदभावं) मिथ्यात्वके साथमें रहनेवाला (लो) अनन्नानुबन्धी लोभ ( अनृतं उत्साहं कृतं ) मिथ्यात्व सेवनका उत्साह करता रहता है । (तस्य ) ऐसे जीवका (लोभ ) लोभभाव (न शमितं च ) ठडा नहीं होता है। ( त लोभ) वह लोभ ( नरयं पतं ) नरकमें डाल देता है। विशेषार्थ-अनन्तानुबन्धी लोभका स्वरूप यहां बताया है कि ऐसे लोभके वशीभूत प्राणी र धनकी, पुत्र पौत्रादिकी तृष्णामें फंसा हुआ रात दिन इनहीकी प्राप्तिमें, इनहीके रक्षण में उत्साह दिखलाता है । धनादि कमानेमें ऐसा तत्पर होजाता है कि धर्मसेवनके लिये समय नहीं निकालता है न नीति अनीतिका खयाल रखता है। उसका मिथ्यात्व भाव जो अनादिकालका अग्रहीत है ॐ वह दृढ़ होता जाता है तथा गृहीत मिथ्यात्व भी जड पकड़ लेता है। वह अपने स्वार्थ साधनके लिये कुदेवोंकी मान्यता किया करता है। यदि किसी समय कोई मान्यता उसके पूर्वकृत पुण्य कर्मके उदयसे सफल होजाती है, तो वह किसी कुदेवने ही ऐसा कर दिया ऐसी कल्पना करके कुदेवों में और अधिक श्रद्धालु व भक्तिवान होजाता है। उसको जिस किसी पदार्थका लोभ पैदा होजाता है यह दीर्घकालतक मिटता नहीं। जैसे रावणको सीताजीका गाढ़ लोभ पैदा होगया। वह वारवार समझानेपर भी परस्त्री रमणके भावोंसे विरक्त नहीं हुआ। इसीलिये मानी बन गया, युद्ध में अपना W
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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