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________________ जीवविचार ॥१३॥ SCHEIGGEOCHOREOGASCOOL भावार्थ-सातवें नरकके जीवोंका शरीर-प्रमाण पाँचसौ धनुष, छ8 नरकके जीवोंका शरीर-प्रमाण ढाइसौद भाषाटीधनुष, पाँचवें नरकके जीवोंका एकसौ पच्चीस धनुष, चौथे नरकके जीवोंका साढ़े बासठ धनुष, तीसरे नरकके जीवोंकाकासहित. सवा इकतीस धनुष, दूसरे नरकके जीवोंका साढ़े पन्दरह धनुष और बारह अङ्गुल, तथा प्रथम नरकके जीवोंका शरीर -प्रमाण पौने आठ धनुष और छह अङ्गुल है. नारकोंके उत्तरवैक्रिय शरीरका प्रमाण, उक्त प्रमाणसे दुगुना समझना चाहिये. | प्र०-धनुषका प्रमाण क्या है? उ०-चार हाथका एक धनुष समझना चाहिये. जोयणसहस्समाणा, मच्छा उरगा य गन्भया हुंति।धणुअपुहुत्तं पक्खिसु, भुयचारी गाउअपुहुत्तं ॥३०॥18 खयरा धणुअपुहुत्तं, भुयगा उरगा य जोयणपुहुत्तं।गाउअपुहुत्तमित्ता, समुच्छिमा चउप्पया भणिया ३१ हूँ (गन्भया) समूच्छिम या गर्भज (मच्छा) मत्स्य-मछलियाँ, (य) और गर्भज (उरगा) साँप यह अधिकसे अधिक (जोयणसहस्समाणा) हजारयोजन प्रमाणवाले (हुंति) होते हैं. (पक्खिसु) पक्षियोंमें शरीर प्रमाण(धणुअपुहुत्तं) धनुष-पृथक्त्व है तथा (भुयचारी) भुजचारी-भुजाओंसे चलनेवाले (गाउअपुहुत्तं) गव्यूत-पृथक्त्व-प्रमाण | शरीरके होते हैं ॥३०॥ (समुच्छिमा) सम्मूछिम (खयरा) खेचर जीव (भुयगा) और भुजाओंसे चलनेवाले जीव (धणुअपुहत्तं ) धनुष -पृथक्त्व-प्रमाणवाले होते हैं (य) और (उरगा) साँप आदि (जोयण पुहुत्तं) योजन-पृथक्त्व शरीर-प्रमाणके होते हैं. (चउप्पया) चतुष्पद जीव (गाउअपुहुत्तमित्ता) गव्यूत-पृथक्त्वमात्र ( भणिया) कहे गये हैं ॥ ३१॥
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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